सामाजिक सरोकारों और शुद्ध पारंपरिक गानों को लेकर एक बार फिर विजय लक्ष्मी म्यूजिक कंपनी ने विवाह गीत ‘पगड़ी के लाज’ रिलीज किया है। विवाह गीत ‘पगड़ी के लाज’ उस बाप और बेटी के बीच के मार्मिक संवाद की अभिव्यक्ति है, जिसके दरवाजे पर बारात खड़ी होती है और बेटी अपनी पसंद की शादी नहीं कर पाने की वजह से जहर खाने को कमरे में बंद हो जाती है।
मालूम हो कि हमारे देश में कोई भी पर्व त्योहार या शादी संस्कार बिना लोक गीतों के अधूरा समझा जाता है, इसे वजह से पूर्व में कई विवाह गीत भी समय – समय पर आते रहे हैं। लेकिन म्यूजिक कंपनी अपने समय के हिसाब से इन चीजों को नए तरीके से पेश कर रही है। उसी क्रम में यह नया विवाह गीत ‘पगड़ी के लाज’ रिलीज़ किया गया है।
अभिनेता आनंद मोहन कहते हैं कि संस्कृति और संस्कार ही हमारी पहचान है। वक्त के हिसाब से हर कुछ बदला है, ऐसे में आज के दिनों में प्रेम करना सहज है। लेकिन आज भी कई सामाजिक बाध्यताएँ होती हैं, जिसमें लोग गलत कदम तक उठा लेते हैं। हमारा यह विवाह गीत नई पीढ़ी के उनलोग को एक नया विजन देने वाला है। इसलिए मेरी अपील यही है कि आप इस गाने को सुने और अपने दोस्त परिवार में भी सबको सुनाएं।
इस गीत को आनंद मोहन पांडेय और नीतू श्री ने गाया है। लिरिक्स अमन अलबेला का है। म्यूजिक प्रियांशु सिंह का है।