सुबह
——
जंगल में
कुलांचे भरता खरगोश.
दोपहर
——–
सुईयां चुभोती धूप में
पसीना बहाती सड़क.
शाम
——
क्षितिज-समुद्र में
धीरे-धीरे
डूबता सूरज.
रात
—-
जगे-जगे
मेंहदी धरे हाथ.
बचपन
——–
चिड़ियाघर के कटघरे में बंद
बंदर को देख ताली बजाना.
जवानी
——–
बरसात में
इंद्रधनुष निकला.
बुढ़ापा
——–
जाड़े की
रात.
वसंत
——
बरगद ने
टांक ली चांदनी.
– आनंद अभिषेक