गौतम चक्रवर्ती
उत्तराखंड राज्य में भर्ती घोटालों को लेकर यहां की राजनीति गरमाई हुई है। यहां अभी संपन्न हुए विधानसभा के नियुक्तियों में 72 लोगों के नियुक्तियों में 29 लोगों के पिछले रास्ते से हुई नियुक्तियों का मामला सामने आने के बाद से यहां बड़ी संख्या में नवयुवकों द्वारा धरना प्रदर्शन ने बड़ा तूल पकड़ लिया है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने पिछले वर्ष 2021 में 31 अक्तूबर को परीक्षा कराई थी। आयोग के सचिव के अनुसार इनमें 530 पद ऐसे हैं, जिनमें टाइपिंग टेस्ट की आवश्यकता थी, लेकिन इसके सापेक्ष चार गुना 2086 उम्मीदवारों को बुलाया गया था ऐसा क्यों?
वहीं यहां के विधानसभा में भर्ती परीक्षाएं में पेपरलीक कर बैकडोर से अभयर्थियों के भर्तियों का मामला सामने आने के बाद एसटीएफ की जांच करने से अनेकों आरोपी पकड़े गए हैं। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या छोटी मछलियों की तरह बड़ी मछलियां या कहे मगरमच्छ भी एसटीएफ की गिरफ्त में आ सकते हैं। वहीं उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में हुए धांधलीयों को लेकर दिन प्रतिदिन नये -नये खुलासे होते चले जा रहे हैं।
यह भ्रष्टाचार घपले घोटाले देश में कहीं भी रुकने का नाम नहीं ले रही है, अभी हाल ही में देश के मध्य प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक जैसे राज्यों के अलावा देश के अनेक स्थानों में ईडी, सीबीआई के छापों से बहुत बड़ी संख्या में धन बेनामी संपत्तियों का मिलना इस ओर संकेत करता है कि अभी भी हो न हो बहुत बड़ी संख्या में धन अवैध तरीके से छुपाए गएं हैं जिनका अभी सामने आना बाकी है।
देश के उत्तराखंड राज्य में हुए घपले – घोटाले को लेकर समय -समय पर यहां के नवयुवक लगातार धरना प्रदर्शन करते चले आ रहे हैं। इन घोटाले में शिक्षा विभाग, वन विभाग, सचिवालय, ग्रामविकास पंचायत, अधिकारी भर्तियों में प्रश्न पत्रों के लिक होने की बात सामने आने से अभी तक देश के कई राज्यों में जिस तरह से ईडी, सीबीआईएआई जैसे संस्थानों ने घोटाले और भ्रष्टाचार की जांच पड़ताल कर अनेक भ्रष्टाचारों को उजागर किया है ठीक वैसे ही यहां पर हुए घपले -घोटालों की जांच -पड़ताल करने की मांगे उठने लगी है। जिसे लेकर यहां की जनता विशेकर नवयुवकों में रोष व्याप्त है।
यहां उत्तराखंड में भ्रष्टाचार एक लम्बे समय से चला आ रहा है, जिसमे यहां के समाज कल्याण विभाग में वर्ष 2010 से 2018 तक छात्रवृत्ति घोटाला नौकरशाहों की नाक के नीचे भ्रष्टाचार को अंजाम देते रहे और किसी के कानों में जूं तक नहीं रेंगी जिसके कारण 50 हजार रुपयों से शुरू हये घोटाले बढ़ते -बढ़ते लगभग 500 करोड़ रुपए तक जा पहुंची थी।
दरअसल देश में कहीं न कहीं भ्रष्टाचार घोटालों को लेकर विशेष कानून बनाए जाने की आवश्यकता हैं क्योंकि जब तक भ्रष्टाचार के लिए विशेष कानून और अदालतों की व्यवस्था नही किए जायेंगे तब तक यह भ्रष्टाचार की दीमक देश की घन- संपदा को को निरंतर चट करते रहेंगे और समाज के गरीब लोग और भी अधिक गरीब होते चले जायेंगे।