दोस्तों जीवन में जब आप सफलता पाने के आएगी बढ़ते है और निराशा पाते हैं फिर एक दिन अपने आपको अकेला दोराहे पर महसूस करते हैं तो ऐसे में आपको ऐसे दिशा की जरुरत होती है जो सही दिशा में ले जाये न कि गलत दिशा में ! ऐसे में आपको बेहद संयम की जरुरत होती है अगर वास्तव में आपको सफलता और सही मार्ग पाना है तो आप अपने करियर को पॉजिटिव वे में आगे बढ़ाए।
यह चीजें हैं बहुत खास, करें इसकी भी तैयारी:
कम्यूनिकेशन के जानकार इस बात को स्वीकार करते है कि ज्यादातर मामलों में वर्कप्लेस पर कम्यूनिकेशन में बातचीत का तरीका गैर मौखिक ही होता है। महज 7 फीसदी मामलों में हम शब्दों के उच्चारण से कम्यूनिकेशन करते हैं। इसलिए यह बात पूरी तरह से तो सच नहीं है, लेकिन हम कम्युनिकेशन के ज्यादातर मामलों में वर्कप्लेस पर नॉन वर्बल टेक्नीक का ही इस्तेमाल करते हैं। इसे वर्किग कल्चर का एक अहम हिस्सा माना जा सकता है। आपको प्रभावशीलता में इजाफा करने और आपसी रिश्तों में सुधार लाने के लिए इस भाषा को सीखना चाहिए। इससे आप एक अच्छे रिलेशन को बिल्ड करने में भी सफल हो सकते हैं।
आसपास की चीजों को समझना सीखें:
ऐसा हो सकता है कि प्रशिक्षण शुरू होने से पहले आप नॉन वर्बल कम्यूनिकेशन में परफेक्ट हों। लेकिन सामाजिक परिस्थितियों में यह बात आपके मन में घर कर सकती है कि कौन आपको पसंद करता है और कौन नहीं। वर्कप्लेस का माहौल सही है या नहीं। एक पर्श जो आपकी ओर से किया गया, वह सही था या नहीं। ऐसा कई बार होता है कि आपके मन की बातें जो आपको सही लग रही हैं, गलत भी हो सकती हैं। से किसी पल में हमें कम्यूनिकेशन की दरकार होती जिनके जरिए हम अपनी बातों को परखते हुए सही कि पुष्टि कर पाते हैं। चाहे बात वर्षल रूप में हो या नि वर्बल रूप में, अलगाव का कोई भी संकेत सही ही होता है। नॉन वर्षल कम्यूनिकेशन को समझने के लिए यह जरूरी है कि आप संदर्भ को अच्छे से समझ लें।
आपका हेड आपको मोटीवेट कर सकता है:
कई बार ऐसा भी हो सकता है कि 30 मिनट के आपसी बातचीत में आप नॉन वर्मल इंडीकेटर्स को जान ले आपको ऑफिस में अकेले एक जोर से की हुई आवाज सुनाई देती है, तो यह असुरक्षा का संकेत हो सकती है। वहीं आराम से निकाली गई आवाज अच्छी मुद्रा का संकेत देती है। जब टीम लीडर्स आराम से बात करता है, तो यह मैसेज जाता है कि टीम के ऊपर उसे जबरदस्त कॉन्फिडेंस है। अगर आपके साथी की आवाज धीमी हैं, तो समझ लें कि वह आपको बधाई देना चाहता है, लेकिन वह आपसे आंखें नहीं मिला रहा है और वह आपसे हाथ भी नहीं मिलाता है, तो समझ लें कि उसे आपसे ईण्या है या नाराजगी। इसलिए यह भी आपके कम्यूनिकेशन का हिस्सा होता है
विचारों में खुलापन है जरूरी होती है:
जहां पर आप अपने कम्यूनिकेशन को और शार्प करते हुए खुले मन से अपने विचारों को रख सकते हैं। यहां पर आपको अपनी काल्पनिक बातों को हकीकत में रखने की आजादी होती है। लेकिन जब आप किसी की कल्पना में कदम रखते हैं, तो इससे यह संकेत जाता है कि या तो आप अंतरंगता के कारण ऐसा कर रहे हैं या फिर आक्रामकता खींचकर, रास्ता बदलकर या आक्रामक रूख अख्तियार करके संकेत के तौर पर अपने मन की बात आपसे कर सकता है। ऐसे समय में आप खुद की और दूसरों के हाथ व अन्य मुद्राओं पर नजर रखें।
समझने की विशेषता:
आपका काम और आपका कैबिन आपके कंटोल में होता है। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप इसका उपयोग कैसे करने जा रहे हैं। आप कैसे दसरों तक पॉजिटिव संकेत भेज रहे हैं। क्या आप ऐसा बनना चाहते हैं कि आपके प्रवेश लेते ही लोग डर जाएं। ऐसे में आपको तय करना है कि वकप्लेस पर लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं।
पॉजिटिव वे में आगे बढ़ें:
टीम लीडर्स अपने कम्युनिकेशन, लोकेशन और मीटिंग की टाइमिंग से कम्युनिकेशन को बेहतर रूप दे सकते हैं। वर्कप्लेस पर कम्यूनिकेशन एम्प्लॉइज को पूरी तरह से प्रभावित करता है। इससे पॉजिटिव एटमॉस्फियर तैयार हो सकता है। इसलिए आप अपने ऐंड से बेहतर कम्यूनिकेशन से सही मैसेज भेजें। याद रखें कि जब आप पॉजिटिव कम्यूनिकेशन करेंगे, तो ही चीजें आपके साथ सही होंगी। इसलिए कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव वे में आगे बढ़ें।
बॉडी लैंग्वेज सही रखें:
बॉडी लैंग्वेज के अंदर चेहरे, आंखें, हाथ, आपके बैठने के तरीके और स्पर्श को शामिल किया जाता है। हम आमतौर पर सात बुनियादी भावनाओं क्रोध, भय, घृणा, अवमानना, खुशी, उदासी और आश्चर्य को समझने के लिए चेहरों और आंखों का सहारा लेते हैं। अधिकांश लोग बात करते समय बॉडी लैंग्वेज कैसी हो, इसकी ट्रेनिंग लेते हैं। कभी कभी आपकी आंख और होठ आपके भीतर की भावना को आसानी से प्रकट कर देती हैं।
इसके अलावा वर्कप्लेस पर आपके चेहरे के भाव का इस्तेमाल आप अपने क्लाइंट या अपने टीम से बात करने के लिए करते हैं। फेस टू फेस कम्यूनिकेशन के दौरान आपका चेहरा सारी स्थितियों को साफ-साफ बयां कर देता है। चेहरे की एक स्माइल और आई कॉन्टेक्स नए लोगों पर प्रभाव डालने के लिए बेहतर साबित होते हैं। एक मैनेजर अपनी टीम के ऊपर संतुष्ट है, तो वह आराम से प्रजेंटेशन रूम में प्रवेश करता है और अच्छे तरीके से अपनी बात को रखता है।