प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति में भारतीय संस्कृति का भी समावेश किया है। यह एक अभिनव प्रयोग था। वैसे भी भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुंबकम का विचार समाहित है। इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः की कामना की गई है। नरेंद्र मोदी दुनिया को यह सन्देश देने में सफल रहे है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, आयुर्वेद की प्रतिष्ठा आदि इस नीति के ही प्रतिफल है।
नरेंद्र मोदी भारतीय संस्कृति से जुड़े प्रतीक विदेशी मेहमानों को भेंट करते है। दुर्लभ मूर्तियों की विदेश से वापसी उनके प्रयास से ही संभव हो रही है। ऐसी ही माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा देवोत्थान एकादशी के शुभ अवसर पर काशी में पुनर्स्थापित की गई। आज का भारत अपनी विरासत को प्रतिष्ठित कर रहा है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर के लिए पांच शताब्दियों की प्रतीक्षा के बाद समाधान हुआ। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण भी प्रारम्भ हो गया है। विश्वनाथ धाम दिव्य धाम बन रहा है। माँ गंगा अविरल गंगा और निर्मल रूप में प्रवाहित हो रही है। पहले भारत की मूर्ति तस्करी से विदेश चली जाती थी। भारत की आस्था आहत होती थी। अब आस्था की प्रतीक मूर्तियां भारत वापस आ रही हैं। 108 वर्ष बाद माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति पुनः अपने काशी धाम में आकर विराजमान हो गई हैं। प्रातः माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा श्री काशी विश्वनाथ धाम पहुंची।
योगी आदित्यनाथ जी ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रतिमा यात्रा की अगवानी की। इसका विधान श्रीकाशी विद्वत परिषद के निर्देशन में श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर के जिरह सदस्यीय अर्चक दल ने प्रातःही प्रारम्भ कर दिया था। मुख्य अनुष्ठान में प्रातःयोगी आदित्यनाथ यजमान बने।
माँ अन्नपूर्णा की प्राचीन मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के विशेष रजत सिंहासन पर विश्वनाथ धाम में प्रवेश कराया गया। माँ अन्नपूर्णा की रजत पालकी को योगी आदित्यनाथ ने कंधा देकर मंदिर परिसर में प्रवेश कराया। पुनर्स्थापना के बाद महाभोग अर्पित कर महाआरती की गई।
- डॉ दिलीप अग्निहोत्री