अंशुमाली रस्तोगी
‘अमेजन’ और ‘फ्लिपकार्ट’ की मानें तो त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है। टी.वी. पर विज्ञापन कई दिनों से आ ही रहे हैं। बॉलीवुड के बड़े सेलिब्रिटी यह बताते फूले नहीं समा रहे कि यहां सबकुछ सस्ता है! कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं। घर बैठे शॉपिंग कीजिए।
त्योहार का मतलब अब ऑनलाइन खरीददारी ही है। बाजार हमें संकेत देता रहता है कि पितृ–पक्ष निपटने के तुरंत बाद खरीद–फरोख्त में लग जाएं। खरीददारी का अब वर्ग कोई नहीं रहा। निम्न, मध्यम और उच्च वर्ग तीनों ही एक प्लेटफॉर्म पर आकर खरीद रहे हैं। लोन और जीरो इंटरेस्ट की सुविधा ने और भी आसान कर दिया है। भले ही जेब में दस रुपए न हों पर हाथ में मोबाइल बीस हजार का दिखेगा।
बाजार यही चाहता है। हर साल दशहरा, धनतेरस और दिवाली पर खरीददारी के आंकड़े बताते हैं कि देश में गरीब अब कोई नहीं। ऑनलाइन बाजार ने सबको ‘अमीर’ बना दिया है। आम आदमी इतना अमीर हो गया है कि उसे आटा भी अब चक्की का नहीं पैकेट का ही भाता है।