लखनऊ, 13 अक्टूबर। राजधानी की युवा नृत्यांगना मीशा रतन रूट्स टू रूट्स प्रदेश के विद्यालयों में नवयुवा छात्र – छात्राओं को सांस्कृतिक विरासतों के प्रति जागरूक करते हुए शास्त्रीय नृत्य कथक की कार्यशालाओं में प्रशिक्षित कर रही हैं।
रूट टू रूट के ताजा सत्र में मीशा रतन बरेली, बदायूं, पीलीभीत, पलिया कलां, लखीमपुर खीरी, नानपारा, श्रावस्ती और बलरामपुर के बाद आज अयोध्या छावनी के केन्द्रीय विद्यालय के विद्यार्थियों को शास्त्रीय नृत्य कथक की विरासत से परिचित कराया। राम वंदना के भाव भरे प्रेरक प्रदर्शन के साथ ही तीन ताल में कथक के प्रारम्भिक बोलों, हस्तक आदि के अंगों का प्रदर्शन करते हुए उनकी खूबियों को बताया। तबले पर साथ नीलांचल पाण्डेय ने दिया। समन्वय शिवम चौहान का रहा। कलाकारों का आभार प्रधानाचार्य आर सी पाण्डेय ने आभार व्यक्त किया।
रूट्स टू रूट्स 2014 से भारत और विदेशों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में लगी एक गैर-लाभकारी संस्था है। एक पृष्ठभूमि के रूप में संस्कृति पर इस विश्वास के साथ कि एक दूसरे की संस्कृतियों की समझ सहिष्णुता और अंततः आपसी सम्मान और शांति को जन्म देती है। ये संगठन वैश्विक स्तर पर काम कर रहा है। परस्पर विरोधी क्षेत्रों के बीच संस्कृति के माध्यम से लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने के लिए संस्था विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में शामिल है। यह संस्था ‘एक्सचेंज फॉर चेंज’ कार्यक्रम में लगी और 31 से ज्यादा स्कूलों से जुड़ी है और 20 हजार से अधिक बच्चों को पढ़ाती प्रशिक्षित करती है।
हाल ही में, रूट्स टू रूट्स ने पढ़ाई के साथ-साथ युवाओं को ऑनलाइन और भौतिक कार्यशालाओं के माध्यम से कला और संस्कृति सिखाने और प्रेरित करने की इस उत्कृष्ट पहल की शुरुआत की है, जो महामारी के बाद, रूट्स टू रूट्स ने विभिन्न केवी, जेएनवी और सरकार को कवर करने वाले विभिन्न शहरों और राज्यों में कार्यशालाओं की पहल की है।
कथक जोड़ी रतन सिस्टर्स की मीशा रतन ने मेघालय, असम इत्यादि पूर्वोत्तर राज्यों और उत्तर प्रदेश के कई शहरों के बाद गत तीन अक्टूबर से प्रारम्भ रूट टू रूट्स के इस ताज़ा सफर में आगे रायबरेली , मधुपुरी फतेहपुर, रामपुर और मुरादाबाद आदि शहरों के विद्यालयों में कथक प्रशिक्षण देंगी।