इजरायल और हमास के बीच जारी जंग में मरते लोगों की किसी को चिंता नहीं है इस युद्ध में अब तो अस्पतालों को भी अब बक्शा नहीं जा रहा है हर तरफ तबाही – तबाही ही जारी है और यह युद्ध कब तक चलेगा यह भी पता नहीं आतंकवाद के नाम पर न जाने कितने मासूमों की जाने ली जाएँगी। गाज़ा के लोगों विनाशकारी युद्ध की नहीं सीजफायर की जरुरत है।
इजरायल और हमास के बीच जब करीब हफ्ते भर पहले युद्धविराम की घोषणा हुई थी तो यह उम्मीद थी कि करीब डेढ़ महीने से चल रहे खूनखराबे को खत्म करने की दिशा में यह पहला कदम है और धीरे-धीरे करके पश्चिम एशिया में शांति स्थापित हो जाएगी। युद्ध विराम के दौरान दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के लोगों को रिहा भी कर दिया जिसे जंग के घावों पर मरहम लगाने का कदम माना गया। किंतु युद्ध विराम की अवधि खत्म होते ही इजरायल ने गाजा पर रॉकेटों की बारिश कर दी जिसका नतीजा यह रहा कि 24 घंटों में ही 178 फिलिस्तीनियों की जान चली गई।
उधर हमास के तेवर भी कम नहीं हुए हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है। कि दोनों ही पक्ष इस टकराव को खत्म करने के मूड में कतई नहीं हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू यह लगातार कह रहे हैं कि उनका देश हमास को खत्म करने तक जंग जारी रखेगा हमास भी अपनी गतिविधियों में कोई कमी नहीं ला रहा है। इस युद्ध में अब तक करीब चौदह हजार लोग मारे जा चुके हैं जिनमें चार हजार से अधिक तो बच्चे ही हैं। गाजा पट्टी के एक बड़े हिस्से से बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं।
हालत यह है कि फिलिस्तीन की एक बड़ी आबादी भयावह मुश्किलों से गुजर रही है। वहां के स्वास्थ्य तंत्र को भी नहीं बख्शा गया है, अस्पतालों पर भी बमबारी हो रही है। जबकि किसी युद्ध के दौरान अस्पतालों को सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है और युद्ध के दौरान भी ऐसी जगहों पर हमला न करने को लेकर अंतर्राष्ट्रीय कानून बनाए गए हैं।
यह सही है कि आतंकवाद से किसी भी तरह का समझौता नहीं होना चाहिए लेकिन फिलिस्तीनी नागरिकों के सामने जैसा संकट खड़ा हो गया है, वह गहरी चिंता की बात है। दुनिया के तमाम देशों व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस विनाशकारी युद्ध पर गहरी चिंता जताई है और खुद इजरायली नागरिकों ने व्यापक रूप से प्रदर्शन करके इसका विरोध किया है। ऐसे में यह जरूरी है कि युद्ध को जल्द से जल्द खत्म किया जाय और शांति व संवाद की स्थिति कायम की जाय।