लाइक्स और कमेंट्स के लिए जान दावं पर लगाते लोग
रील्स की दीवानगी कितनी जायज है यह बता पाना तो मुमकिन नहीं है क्योंकि इसमें दो पक्ष है एक पॉजिटिव और दूसरा नेगेटिव ! रील्स की दीवानगी के प्रति लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं लोग मशहूर होने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं अब चाहे इसमें उनकी जान ही क्यों न चली जाये इस खतरे को लोग फिलहाल समझने को तैयार नहीं हैं। अब देखिये लोग मोबाइल में अपनी फोटो खींचने का फीचर लोगों में उसकी दीवानगी को और बढ़ाता जा रहा है जिसके लिए उन्हें कोई वजह नहीं चाहिए। फोटो खींचने या वीडियो बनाने के बाद उसे सोशल मीडिया पर डालना भी वे एक जरूरी काम मानते हैं और इस पर मिलने वाले लाइक्स और कमेंट्स से उनके मन में एक अजब संतुष्टि का भाव आता है।
मुसीबत यह है कि यह दीवानगी भी अब शौकीनों की मौत का कारण बनती जा रही है। ऐसे हादसों की खबरें अक्सर मीडिया में आती रहती हैं। देखा जाए तो यह बिना कारण जान जाने के मामले हैं और केवल | अपने बेमतलब के शौक को पूरा करने की धुन में होते हैं। पिछले दिनों लखनऊ में एक लड़की नहर के किनारे अपनी रील बना रही थी लेकिन संतुलन बिगड़ जाने के कारण वह नहर में गिर गई और उसकी जान चली गई। इसी तरह हरिद्वार में एक छात्रा की रेल पटरी पर रील बनाने के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। ये इक्का-दुक्का घटनाएं नहीं हैं बल्कि नियमित रूप से घटती हैं जिनमें युवा अपनी जान से महज एक बेमतलब के शौक के कारण हाथ धोते रहते हैं।
जाहिर है कि अपना शौक पूरा करने के लिए वे अपने दिमाग से काम नहीं लेते और खुद को खतरे में डाल लेते हैं। जीवन में टेक्नोलॉजी की तमाम उपयोगिताएं हैं और वह इसके कई पक्षों को बेहतर बनाती है लेकिन महज एक जुनून के नशे के कारण उसके इस्तेमाल में डूब जाना केवल अपने समय की बर्बादी है जो तनिक भी लापरवाही बरतने पर जानलेवा भी साबित होती है। युवा मन किसी सीख पर ध्यान देना तब तक नहीं चाहता जब तक उसके नतीजे सामने न आ जाएं लेकिन उस नतीजे को देखने के लिए जीवित ही नहीं बचेगा तो उससे ज्यादा बदकिस्मती की बात और क्या होगी।