संगीत सम्राट तानसेन की समाधि
यह मकबरा प्रसिद्ध संगीत सम्राट तानसेन का है जो कि ग्वालियर, मध्यप्रदेश में है। इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था। तानसेन अकबर के दरबार में नौं रत्नों में से एक थे। इस मकबरे के पास ही इमली का एक पेड़ है। ऐसी धारणा है कि इसकी पत्तियां चूसने से आवाज मधुर तथा सुरीली होती है। यह मकबरा स्तंभयुक्त गैलरी वाले आयताकार ऊँचे चबूतरे पर बना है और आरंभिक मुगलकालीन वास्तुकला का नमूना है। यहां प्रतिवर्ष नवंबर – दिसंबर में उस महान संगीतकार की स्मृति में एक राष्ट्रीय संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है जो संगीत प्रेमियों के लिये एक प्रमुख आकर्षण है।
दीपक राग के गाने से जब गर्मी बढ़ने लगी
तानसेन के बारे में एक किस्सा प्रचलित है जो कि किस्सा इस प्रकार है बता दें कि इस घटना का वर्णन गूगल विकिपीडिया पर भी मौजूद है। एक बार अकबर ने तानसेन को दीपक राग गाने को कहा, तानसेन ने उन्हें बताया की दीपक राग गाने का परिणाम काफी बुरा हो सकता है। लेकिन अकबर ने उनकी एक न सुनी। अतः उन्हें यह राग गन पड़ा । उनके गाते ही गर्मी बढ़ने लगी और चारों ओर से मानो अग्नि की लपटें निकलने लगीं। श्रोतागण तो मारे गर्मी के भाग निकले, किन्तु तानसेन का शरीर प्रचंड गर्मी से जलने लगा । उसकी गर्मी केवल मेघ राग से समाप्त हो सकती थी । कहा जाता है कि तानसेन की पुत्री सरस्वती ने मेघ राग गाकर अपने पिता की जीवन-रक्षा की। बाद में अकबर को अपने किये पर काफी शर्मिंदा होना पड़ा। इसके बाद तानसेन के संगीत से प्रसन्न होकर अकबर ने इन्हें अपने नवरत्नों मे शामिल कर लिया।