दुनिया के दो बड़े देशों के सामने आकर शक्ति परिक्षण की स्थिति पैदा होने से यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि आखिर चीन चाहता क्या है? इससे पहले हम ताईवान को लेकर दोनों देशों के मध्य तना-तनी की स्थिति को अच्छी तरह से देख ही चुके हैं उस समय भी एकबार ऐसा लगा कि अब दोनों देशों के मध्य युद्ध हो कर रहेगा लेकिन कुछ ही दिनों में बौखलाहट की स्थिति मद्धिम पड़ती चली गई, अब चीन फिर से एक बार भारतीय LAC पर अपनी गति विधियों को तेज कर दिया।
जैसा कि पहले से हम देखते सुनते रहे हैं कि चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण बार-बार भारतीय सीमा से घुसपैठ कर भारतीय भू भाग पर कब्जा करना चाहता है दरअसल उसके इस विस्तारवादी सोच के पीछे कहीं न कहीं चीनी आबादी ही जिम्मेदार है लेकिन वह केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों जैसे रूस, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, इंडोनेशिया, फिलीपींस, जापान, मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम जैसे कई देशों के साथ इसी तरह की हरक़त करने में लगा रहता है दरअसल चीनी सीमा इन देशों के सीमाओं से सटे होने के कारण वह उनके भू भाग पर भी कब्जा करने का इरादा रखता है, जिसके मद्देनजर वह जब-तब ताइवान में अपना जोर दिखाने के लिए विमानों से घुसपैठ कराता ही रहता है बल्कि वह तो हांगकांग और मकाऊ में भी अस्थिरता उत्पन्न करने के लिए उकसावे की कार्यवाही करने के साथ ही श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान जैसे छोटे-छोटे देशों के भूभाग पर अतिक्रमण करने के उद्देश्य से उन्हें अपने कर्ज के जाल में फसाने का पुरजोर कोशिशें करता रहता है।
वैसे यहां आपको बता दें कि दुनिया में कनाडा के बाद चीन सबसे बड़ा भू क्षेत्रफल रखने वाला एक देश है। जिसका कुल क्षेत्रफल 97 लाख 6 हजार 961 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें से 43 प्रतिशत तक का भूभाग दूसरों से हड़पी हुई है। इसलिये चीन के सभी पड़ोसी देश उसकी इस तरह के विस्तारवादी नीति से एक लंबे समय से परेशान हैं। यहां आपको बताते चलें कि दुनिया के 14 देशों से चीन की सीमाएं मिलती है, इसलिये इन सभी देशों से उसका सीमा विवाद है। भारत भी ऐसे देशों में एक है। तीन भारतीय राज्यों जैसे नेपाल, भूटान व तिब्बत पर चीन कब्जे की रणनीतियाँ बनाया करता है इस तरह की चीनी साजिश, उसकी विवादित फाइव फिंगर पॉलिसी के नाम से जाना जाता है।
चीन अरुणाचल में तवांग के यांगत्से पहाड़ी इलाके की ऊंची चोटियों पर अपना कब्जा करना चाहत था बल्कि कुछ दूरी तक तो उसने कब्जा कर भी लिया था लेकिन भारतीय सैनिकों की तत्परता से आक्रमण कर उन्हें पीछे खदेड़ दिया गया। दरअसल यह चोटियां भारतीय सामरिकता के लिये बहुत महत्व पूर्ण है, क्योंकि इस जगह से चीनी सैनिक ऊपर की ओर चढते हैं जबकि भारतीय सैनिक ऊपर होते हैं ऐसे में ऊपर से नीचे की ओर आक्रमण करना आसान और असरकारक होता है नीचे से ऊपर आक्रमण करने की अपेक्षा।
वैसे यह तो स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी ने विश्व के सभी देशों के साथ कूटनीतिक तौर पर अच्छे सम्बन्ध बनाने की कोशिशें की है। इस परिपेक्ष्य में पहले वर्ष ही चीनी प्रेसिडेंट Xi जिनपिंग को उन्होंने भारत आमंत्रित कर अच्छे रिश्ते बनाने की भरपूर कोशिश की है और जैसे-जैसे दूसरे देशों के साथ भारत के सम्बन्ध अच्छे बनते चले गए , वैसे वैसे देश में आर्थिक विकास के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में भी आमूलचूल परिवर्तन को हम देख-सुन सकते हैं ऐसे में आज यह महसूस होने लगा है कि भारत एशिया की एक महाशक्ति बनने की ओर धीरे-धीरे अग्रसर हो रहा है जिसके कारण चीन भारत की तरक्की को रोकने की कोशिशों के मद्देनजर कभी पाकिस्तान में आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) के नाम पर तो कभी अन्य देशों में वन बेल्ट एंड वन रोड (OBOR) योजना के नाम पर लगातार भारत की घेराबंदी करने में लगा हुआ है।
- जी के चक्रवर्ती