गौतम चक्रवर्ती
आज भारत में एक बार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाये जाने को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। ऐसे में दिल्ली में स्थित एक एनजीओ “पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया” का कहना है कि देश के ज्यादातर राज्यों में कुल प्रजनन दर (TFR) 2.1 या उससे भी कम UN के अनुसार हो चुकी है।
इस एनजीओ (NG O) की एक और रिपोर्ट के अनुसार पिछले 40 वर्षो में भारत में बच्चो की कुल जन्म दर यानिकि (TFR) आधी हो गई है। वहीं वर्ष 2015-20 के मध्य भारत में बच्चे पैदा होने की दर 2.2 थीं, जबकि वर्ष 1975-80 के मध्य यह दर 4.97 हुआ करती थी।
इन सभी बातों के परिपेक्ष में यही कहना पड़ता है कि किसी भी आबादी के प्रतिस्थापन जनसंख्या का मानक होता है उसके हिसाब से हमारे देश की जनसंख्या वृद्धि दर सही दिशा में जा रही है। वैसे देश के उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे कुछ राज्यो की प्रजनन दर 2.1 से भी अधिक है।
वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमारे देश में सर्वप्रथम वर्ष 1872 में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड मेयो के देख रेख में जनगणना का काम की शुरुआत हुई थी देश की आजादी काल से वर्ष 2011 तक 15 बार जनगणना का कार्य सम्पन्न हो चुका है। आजादी के बाद से जनगणना का कार्य प्रत्येक 10 वर्षो के अंतराल पर होता चला आ रहा है।
हालाकि भारत की पहली संपूर्ण जनगणना वर्ष1881 में हुई थी। वर्ष 1949 के पश्चात से जनगणना का कार्य भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत भारत के महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त के आधीन होता है। वर्ष1951 के पश्चात की गई सभी जनगणनाएं वर्ष 1948 की जनगणना अधिनियम के अंतर्गत कराई जाती है और अंतिम जनगणना का कार्य वर्ष 2011 में संपन्न हुई थी, तथा आगामी जनगणना वर्ष 2021 में कराया जाना था लेकिन कोरोना महामारी के कारण उसे रोक दिया गया था।
आपकी जानकारी के लिए यहां यह भी बता दें कि वर्ष 1950 में सम्पूर्ण दुनिया की आबादी 250 करोड़ हुआ करती थी, जो वर्ष 2022 के जुलाई माह तक बढ़ कर लगभग 800 करोड़ हो गई यानिकि पिछले 72 वर्षों में दुनिया की आबादी में तीन गुनी तक बृद्धि हो चुकी है। हालांकि सबसे अधिक चिंताजनक स्थिति भारत के लिए है। वैसे भारत में जब-जब जनसंख्या की बात होती है तो उसके साथ धार्मिक आबादी में असंतुलन का भी उल्लेख होता है।
भारत की दिनों- दिन बढ़ती जनसंख्या देश के लोगों के लिए एक गंभीर समस्या हैं। जब हम जनसंख्या बृद्धि की रफ्तार की बात करें तो जिसमे पूरी दुनिया में पांच (5) ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या सबसे अधिक हैं। इन 5 पांचों देशों में दुनिया की लगभग 43 फीसदी तक की आबादी निवास करती हैं। जिसमे सर्वप्रथम नाम चीन का आता है। एशिया में स्थित चीन विश्व के मानचित्र पर तेजी से पैर पसारता हुआ सर्वाधिक जनसंख्या वाला एक देश हैं तो वहीं भारत का स्थान दूसरे नम्बर पर आता है। यदि भारत की कुल जनसंख्या की बात करें तो यह लगभग 1 अरब 32 करोड़ हैं, जो कि विश्व की आबादी का 17.5 प्रतिशत हिस्सा हैं।
जनसंख्या वृद्धि के अनुसार भारत अगले वर्ष 2023 तक जनसंख्या के मामले में अपने पड़ोसी देश चीन को भी पीछे छोड़ सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक भारत की आबादी 1.668 बिलियन यानिकि 16.68 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
तीसरे नम्बर पर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का नाम आता है। यूरोप में स्थित अमेरिका की कुल आबादी 32 करोड़ 5 लाख 22 हजार है। वहीं चौथे नम्बर पर आने वाला सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश इंडोनेशिया है। इंडोनेशिया की कुल आबादी 26 करोड़ 18 लाख 90 हजार 900 है।
आखिर में 5 वें नम्बर पाकिस्तान है। भारत के इस पड़ोसी इस देश की कुल आबादी 20 करोड़ 90 लाख 24 हजार है जो कि विश्व की आबादी का 2.76 प्रतिशत हिस्सा हैं।
वैसे यदि सही अर्थों में कहा जाय तो आज दुनिया की लगभग सभी देशों ने चहुमुखी विकास तो अवश्य किया है लेकिन जनसंख्या के मामले में कुछ अधिक ही विकास हुआ है और यह क्रम आज भी लगातार जारी है लेकिन जितनी दुतगति से हमारे देश मे जनसंख्या बृद्धि हो रही है उसे देखते हुये भविष्य में भारत की पूरी की पूरी व्यवस्था ही चरमरा सकती है।
यदि हम इस स्थिति को आने देने से रोकना चाहते हैं तो देश मे जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून बनाये जाने की आवश्यकता है। वैसे सही कहा जाय तो देश की अधिकतर समस्याओं के जड़ में मात्र यही जनसंख्या है और यह कानून देश में बिना भेदभाव के सबके लिए लागू किया जाना चाहिए भारत के संविधान में प्रत्येक देशवासी बराबर है इसलिये जनसंख्या नियंत्रण जैसा कानून बना कर उसे लगू कर स्थिती को अभी से संभाल लिया जाना चाहिए। नहीं तो देश की समस्याएं दिन- प्रतिदिन और विकराल रूप धारण करती चली जायेगी और एक समय एसी भी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जिसका निराकरण करना अत्यंत कठिन हो जायेगा।