ये है लाल चोंच वाली टिटहरी के अंडे। टिटहरी मार्च से जून तक अंडे देती है। इसके अंडों को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों मे कई मान्यताऐं हैं। कहा जाता है कि टिटहरी के अंडे देखना शुभ होता है। ये जितने अंडे देती है उतने ही महीने बारिश होती है। अगर ये गर्मी मे जल्दी अंडे देती है तो मानसून जल्दी आता है। अगर टिटहरी के अंडे सीधे रखे हों तो ज्यादा बारिश होती है और आड़े रखे हों तो कम। कई जगह मान्यता है कि टिटहरी अपने अंडे पारस पत्थर से तोड़ती है। इसलिये लोग इसके अंडों के आसपास पत्थर ढूंढते हैं। हालांकि इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
टिटहरी खुले मैदान मे अपने अंडे देती है।ये अंडे स्लेटी भूरे होते हैं जिनपर बैंगनी या काले धब्बे होते हैं। इस कारण ये शिकारियों को आसानी से दिखाई नहीं देते। हालांकि मवेशियों के पैरों से कुचलने का डर रहता है। इसीलिये किसी के पास आने पर टिटहरी हवा मे उड़ते हुए तेज आवाज मे चिल्लाते हुए उसे अंडों से दूर रखती है। कभी कभी हमला भी कर देती है। टिटहरी चिल्लाते हुए “टिटि-टू-टिट ” आवाज निकालती है जो “Did you do it” जैसा सुनाई देता है। इसीलिये इसे Did you do it bird भी कहते हैं। अपने अंडों को गर्मी से बचाने के लिये ये पंखों को गीला करके उऩपर बैठती है।
राजधानी के कई क्षेत्रों मे पीली चोंच वाली टिटहरी भी दिखाई देती है जो आकार मे थोड़ी छोटी होती है।
- देवेंद्र दुबे की वाल से