जी के चक्रवर्ती
चुनावी सरगर्मी यूपी में तेज हो चली है और दो हज़ार बाइस के लिए फिर खेला खेला की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। बता दें कि यूपी यानि उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के चुनाव वर्ष 2022 में प्रस्तावित है जबकि वर्ष 2017 में निर्वाचित वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 14 मई वर्ष 2022 को समाप्त हो जायेगा। इधर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को हटाने को लेकर राजनितिक गलियारों में चर्चा जोरों पर अफवाहों की तरह तैर रही हैं लेकिन सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली दरबार में जाकर मामले को बैलेंस कर दिया है और अब भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चेहरे को आगे रखकर ही यूपी में चुनाव लड़ेगी।
आज से 9 -10 महीने के बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके मद्देनजर अभी से ही सभी पार्टियों में कुलबुलाहट होना स्वाभाविक है लेकिन विशेषकर उत्तर प्रदेश में भाजपा की बैठकों का दौर अभी से प्रारम्भ हो गया है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अभी से तैयारियां प्रारम्भ कर दिया हैं जिसके अंतर्गत पहले चरण में भाजपा ने उत्तर प्रदेश के जिन सीटों पर पहले के चुनाव में काबिज नही हो सकी थी वर्ष 2022 के आगामी चुनाव में भाजपा उन पर कब्जा जमाने की रणनीति बना रही है लगभग 80 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर अनेको प्रयासों के पश्चात भी भाजपा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव 2017 और फिर लोकसभा चुनाव 2019 में जीत हासिल नही कर पाई थी ।
यदि आपको याद हो तो वर्ष 2003 में उत्तर प्रदेश में बीएसपी और बीजेपी की मिली-जुली सरकार चली थी उस समय मायावती मुख्यमंत्री पद पर आसीन थीं। उस सरकार में भाजपा के लालजी टंडन, ओमप्रकाश सिंह, कलराज मिश्र और हुकुम सिंह जैसे नेता कबीना मंत्री रहे हैं। यह सरकार वर्ष 2002 में हुये विधानसभा चुनाव के परिणाम मे त्रिशंकु विधानसभा की रूप में उभर कर आयी थी जिसमे समाजवादी पार्टी को 143 सीटें, बीएसपी को 98, बीजेपी को 88 सीटें कांग्रेस पार्टी को 25 एवं रालोद अजित सिंह की पार्टी को 14 सीटें ही प्राप्त हुई थीं।
उस समय प्रदेश में किसी भी पार्टी की सरकार बनते नजर नही आ रही थी ऐसे में एकबार ऐसा लगने लगा था कि प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा लेकिन फिर बीजेपी और रालोद के समर्थन से तीन मई, वर्ष 2002 को मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं। उस वख्त मायावती का यह तर्क था कि वर्ष 1989 में मुलायम सिंह की पार्टी भी बीजेपी के समर्थन से सरकार चला चुकी हैं।
कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में होने वाले विधान सभा चुनावों में किसकी जीत या किस पार्टी की सरकार बनेगी इस बात की भविष्यवाणी अभी से करना संभव नही है लेकिन एक बात तो निश्चित है कि उत्तर प्रदेश में सभी पार्टियों की स्थितियों को देखते हुये ऐसा लगता है कि जनता इस बार मौन है और वह इस दफे यह अंदर ही अंदर यह तय करने वाली है कि इस बार किसको वोट देना है या किसे नही क्योंकि अब जनता सब पार्टियों की चुनाव पूर्व घोषणाओं और उनके द्वारा किये जाने वाले वादों का हस्र आज दिन तक देखती चली आ रही है इसलिए अब जनता भी इतना भोली या नासमझ नही रह गई है कि किस पार्टी ने या किस नेता ने पिछले चुनाव से पहले उनके दहलीज पर खड़े हो कर क्या कहा? और क्या-क्या वादें कर चुनाव में जीत हासिल कर सत्तासिन हुये हैं और सत्ता पर काबिज होते ही वही बैठे-बैठे जनता को ठंडी-मीठी गोलियां देते रहे ऊपर से आज तक जनता को उन्हें कौन- कौन से रंग-ढंग दिखाये और ऐसा क्या कुछ किया? जिस पर उन्हें फ़क्र हो या अपना मुहँ उच्चा कर जोर “से उन्हें आवाज दें सकें।