प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट सेंट्रल विस्टा के बनने से विरोधियों में जैसे मृत पड़े मुद्दों में जान आ गयी उन्होंने इसका विरोध हर स्तर पर किया, लेकिन काम नहीं रुका काम जारी है। देश की राजधानी नई दिल्ली में आज सेंट्रल विस्टा परियोजना का काम काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां तक कि इस मामले को न्यायालयों में भी ले जाया गया है और उन्होंने भी इस पर अपना निर्णय दे दिया है। यहीं यह बात भी स्पष्ट है कि विपक्षी दल भी इस प्रोजेक्ट की आलोचना कर रहे हैं, और इसे बेकार की कवायद साबित करने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट में इस सिलसिले में दायर एक याचिका में कहा गया था कि फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर के चलते इस परियोजना पर काम का चलते रहना, उसमें काम करने वाले मजदूरों और आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है और इससे कोरोना फैल सकता है। सरकार का दावा था कि वहां काम करने वाले मजदूरों को टीके लगाए जा चुके हैं और उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखा जा रहा है। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। इस बीच हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद सरकार फ्रंटफुट पर आ गई है।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप पुरी ने कहा है कि सेंट्रल विस्टा को लेकर पिछले कई माह से गलत नैरेटिव फैलाया जा रहा है। सरकार पर झूठे इल्जाम लगाए जा रहे हैं । गलत कहानी गढ़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा अगले ढाई-तीन सौ बरसों के लिए है। वर्तमान संसद भवन सौ बरस पुराना हो चुका है। ये सब हेरिटेज बिल्डिंग हैं जिन्हें बिल्कुल नहीं डिस्टर्ब किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेंट्रल विस्टा एवेन्यू और संसद भवन ये दो अलग-अलग प्रोजेक्ट हैं और इसकी जल्दी इसलिए की जा रही है कि भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति की 75वीं जयंती का समारोह हम नए संसद भवन में करना चाहते हैं।
पुरी ने कहा कि कई लोग यह कह रहे हैं कि सेंट्रल विस्टा परियोजना पर खर्च के बजाय वैक्सीन पर खर्च किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की उपलब्धता समस्या हो सकती है पर पैसे की कोई कमी नहीं है। वैसे भी इस बात में दो राय नहीं कि सेंट्रल विस्टा परियोजना देश के गौरव को बढ़ाने वाला ही एक कदम है, इसलिए इसका स्वागत किया जाना चाहिए।