एक माह बाद प्रतिभागियों ने दी प्रस्तुति
लखनऊ, 3 जुलाई। एक माह पूर्व प्रारंभ हुई ग्रीष्मकालीन कथक नृत्य की कार्यशाला आज मंगलद्वार त्रिवेणीनगर में प्रस्तुति के साथ पूर्ण हो गयी। कार्यशाला में 30 बच्चों ने प्रतिभाग किया था। आयोजक शैलजा श्रीवास्तव ने बताया कि कम बच्चे इसलिए रखे, ताकि बच्चे अच्छी तरह से कथक नृत्य को जान और समझ सकें।
कार्यशाला के दौरान रतन सिस्टर्स के नाम से ख्याति प्राप्त युवा कथक नृत्यांगना व प्रशिक्षिका द्वय ईशा रतन और मीशा रतन ने पारम्परिक कथक में आर्या, विधिका, विशेन, कर्षिता सोनी, वर्तिका सोनी, व्याख्या विशेन, कनिष्का वर्मा आदि को प्रशिक्षण प्रदान करते हुए शुद्ध नृत्त पक्ष में उठान, आमद लड़ी, टुकड़े, कवित्त इत्यादि की जानकारी साझा की। बच्चों को आज के समय के चलते बच्चों की पसन्द को ध्यान में रखते हुए जाह्नवी अवस्थी ने बॉलीवुड डांस पर प्रशिक्षण केंद्रित करते हुए प्राची कश्यप, अंजु वर्मा, वर्तिका, अंजलि, सपना, प्रांशी , प्रखर, मीनू, हरिओम, आस्था, मोनिका बाजपेई, दक्ष श्रीवास्तव, कल्पना राजपूत, रिया वर्मा को नृत्य सिखाया।
कार्यशाला प्रस्तुति का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलित करके गणेश वंदना की मोहक प्रस्तुति के साथ गुरु स्मरण से हुआ। तत्पश्चात युगल नृत्य प्रस्तुत करते हुए ‘नाचे सारे’, ‘मैंने पायल है छनकाई, ‘मोहे रंग दो लाल और सरस्वती वंदना की मंगलमय प्रस्तुति हुई। समूह नृत्य की श्रृंखला में पारम्परिक कथक के सुंदर संयोजन प्रस्तुति के आकर्षण रहे। इसी क्रम में आगे काला भूत काट खायेगा, नाचे सारे, झूमे जो पठान, गल्ला करिये जैसे गीतों पर बच्चों ने जमकर मंच पर धमाल किया। अंत में मुख्य अतिथि द्वारा बच्चों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये।