युद्धग्रस्त यूक्रेन से सभी भारतीय बाहर निकाल लिए गए यह राहत की बात है केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि यूक्रेन के युद्धक्षेत्र से सभी भारतीय बाहर निकल आए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकट की घड़ी में तमाम परेशानी के बीच जिस प्रकार अभियान का नेतृत्व किया, ऐसा कोई उदाहरण नहीं है। कई देशों को अपने नागरिकों को निकालने में दिक्कतें हुईं। बड़े-बड़े देश भी विफल रहे। चीन तो शायद आठ फरवरी को कुछ लोगों को निकाल पाया।
अमेरिका ने तो पहले ही परामर्श जारी कर दिया था कि आप अपने आप निकल जाओ नहीं तो हम जिम्मेदार नहीं हैं। लेकिन भारत पड़ोसी मुल्कों के रास्ते भी अपने लोगों को सकुशल निकाल लाया। यह काम इतना आसान भी नहीं था। इसके लिए सोच समझकर रणनीति बनाई गई।
यूक्रेन ने भारत को खतरे से आगाह करते हुए कहा था कि रूसी सैनिक हमला कर सकते हैं। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से तीन और यूक्रेन के राष्ट्रपति से दो बार बातचीत में भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा। इसके अलावा ब्रिटेन, रूस और यूक्रेन के पड़ोसी देशों से भी बातचीत की गई।
यूक्रेनी दूत को कई बार भारत में समन किया गया। सुमी शहर में रूस ने हमले तेज कर दिए थे। यहां भारतीय फंसे हुए थे। तमाम सरकारी इमारतों और मानवीय गलियारों के आसपास गोलीबारी हो रही थी। लेकिन भारतीय अधिकारियों ने हमलों के बीच से भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने में बड़ी बहादुरी दिखाई।
विदेश मंत्रालय ने यूक्रेन में फंसे छात्रों की मदद के लिए अपने पचास से अधिक अधिकारी उतारे जिन्हें रूसी भाषा का ज्ञान था। इस तरह समवेत प्रयासों व दूरदृष्टि से सफलता हासिल हो सकी।