यूक्रेन में जंग होते हुए साल भर से भी ज्यादा हो गए हैं, लेकिन यह रुकने का नाम नहीं ले रही है। इसे रोकने के लिए कई प्रयास किए गए मगर उनका कोई नतीजा नहीं निकला। हालांकि इसमें रूस भारी पड़ रहा है लेकिन यूक्रेन भी बराबर की टक्कर दे रहा है। इसलिए ये मामला और भी उलझता जा रहा है। दोनों में से कोई भी पक्ष झुकने के लिए तैयार नहीं है और इसका नतीजा वहां के नागरिक भुगत रहे हैं। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ रूस की निजी सेना वैगनर ने विद्रोह भी कर दिया था, हालांकि वैगनर ने रूस के समर्थन में यूक्रेन में लड़ाई.. भी लड़ी थी लेकिन बाद में पुतिन से उसके संबंध खराब हो गए और उसने उनके खिलाफ ही मुहिम छेड़ दी।
ऐसे में यह मामला और भी अधिक उलझता जा रहा है। इन हालात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से फोन पर बात कर यूक्रेन युद्ध खत्म करने की अपील की। उन्होंने कहा कि बातचीत और कूटनीति के जरिए इस मामले का हल निकालने का प्रयास किया जाना चाहिए।
इस पर पुतिन का कहना था कि यूक्रेन बातचीत और कूटनीति से साफ इंकार करता है। रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो की सदस्यता न ले मगर यूक्रेन अपने हित नाटो के साथ रहने में ही सुरक्षित मान रहा है। नाटो से जुड़े पश्चिमी देश यूक्रेन के समर्थन में हैं जबकि रूस को वे देश तनिक भी पसंद नहीं आते।
रूस को चीन का समर्थन हासिल है जो अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन के वर्चस्व को चुनौती देता रहता है। इस तरह रूस- यूक्रेन युद्ध में दुनिया दो खेमों में बंट गई है। मगर इसमें कोई भी देश खुलकर इसलिए नहीं उतरना चाहता कि एक बार फिर महायुद्ध का खतरा पैदा हो जाएगा, हालांकि वैगनर के विद्रोह के बाद पुतिन की स्थिति रूस में ही कमजोर हुई है और इसलिए लग रहा है कि अगर है कि रूस पर दबाव बनाया जाय तो वह अपने कदम वापस पीछे खींचने और वार्ता की मेज पर आने को तैयार हो सकता है। अब देखने की बात यह है कि रूस इस मामले पर कितनी गंभीरता दिखाएगा।