यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर अब एक महीने से भी ऊपर हो गया है लेकिन जंग अभी थमने के आसार दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रहे हैं। बल्कि रूस के हमलों में तीक्ष्णता आती जा रही है। हालात तो अब यहाँ तक आ गए है कि यूक्रेन ने अब रूस पर हवाई हमले कर दिए हैं जिससे रूस को भी जानमाल का नुकसान शुरू हो गया हैं। उधर यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि रूस अभी तक किसी भी शहर पर पूरी तरह से कब्जा नहीं कर पाया हैं। लड़ाई लम्बी खिंचती देख रूस ने अब भारत से मध्यस्ता कि गुहार लगायी है।
उधर रूसी सैनिकों ने मारियुपोल के एक स्कूल पर बम बरसाए। हमले के वक्त यहां करीब चार सौ नागरिक शरण लिए हुए थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हमले में स्कूल की इमारत पूरी तरह तबाह हो गई। नागरिकों के मलबे में दबे होने की आशंका है। बमबारी के कारण राहत और बचाव कार्य शुरू नहीं हो सका। रूसी सेना ने हमले तेज करते हुए राजधानी कीव, खात्कीव, चेर्नोबिल और दक्षिण यूक्रेन शहरों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है। हालांकि यूक्रेन की सेना ने रूसी सेना को रुकने को मजबूर कर दिया है। यूक्रेन की सरकार ने पूरे देश में बमबारी को लेकर एलर्ट जारी कर दिया है।
रूस के हमलों में यूक्रेन के ज्यादातर शहर ध्वस्त हो चुके हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने कहा कि मारियुपोल पर आक्रमण इतिहास में दर्ज होगा। इस जंग में इस बात को लेकर भी विवाद गहराता जा रहा है कि जंग में कौन किसका साथ दे रहा है। विवाद इसलिए उठा कि रूस
और चीन की गहरी दोस्ती को लेकर अमेरिका अब ज्यादा ही परेशान है।
उसका कहना है कि संकट के इस वक्त में चीन रूस का मददगार बना हुआ है। इससे रूस के हौसले और बुलंद हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से चीन इसका खंडन कर चुका है। लेकिन अमेरिका को यह बात कबूल नहीं है। इस हकीकत से कोई अनजान नहीं है कि चीन रूस का ही साथ देगा और पहले भी देता ही आया है। चाहे सुरक्षा परिषद में साथ खड़ा होना हो या किसी और रूप में मदद की बात हो। इसलिए पिछले कछ दिनों से अमेरिका चीन को चेतावनियां दे रहा है कि अगर उसने रूस की मदद की तो उसे इसके लिए गंभीर नतीजे झेलने पड़ेंगे।
अभी बड़ी चुनौती यूक्रेन में युद्ध विराम को लेकर है। लेकिन इसे लेकर कहीं कोई प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों की धमकियों को रूस ने हवा में उड़ा दिया है।