यूक्रेन और रूस की लड़ाई को सवा साल से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन अभी भी यह खत्म होने के आसार कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। भारत ने इसका समाधान खोजने के लिए दोनों देशों से कई बार अपील भी की है। रूस अपने कदम पीछे नहीं खींचना चाहता है और वह जंग में नित नए प्रयोग करते हुए इसे और अधिक जटिल बना रहा है तो वहीं यूक्रेन पूरे जीवट के साथ रूस का सामना कर रहा है।
इस युद्ध से दुनिया के कई देश भी प्रभावित हुए हैं तो वहीं कई देश दोनों पक्षों में से किसी एक का समर्थन कर रहे हैं। इस मामले में अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों की भूमिका की चर्चा की जा सकती है जो यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि आज का युग युद्ध का नहीं है।
उन्होंने यह कहा है कि संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के माध्यम से हल किया जाना चाहिए। जापान के शहर हिरोशिमा में पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ हुई बैठक में कहा कि यूक्रेन में युद्ध पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा मुद्दा है और समूचे विश्व पर इसके अलग-अलग प्रभाव पड़े हैं। उन्होंने कहा कि वे संघर्ष को एक राजनीतिक या आर्थिक मुद्दे के रूप में नहीं देखते हैं बल्कि उनके लिए यह मानवता का मुद्दा है। उन्होंने कहा कि युद्ध की पीड़ा क्या होती है, यह हम सबसे ज्यादा आप जानते हैं।
जेलेंस्की ने अपनी इस लड़ाई में यूक्रेन के लिए भारत का समर्थन मांगा था जिसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत और मैं अपनी व्यक्तिगत क्षमता से इस संघर्ष का समाधान तलाशने का भरसक प्रयास करेंगे। दरअसल भारत के लिए रूस और यूक्रेन समान रूप से मित्र हैं और दोनों देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं। इसलिए समस्या का समाधान खोजने में भारत महत्वूपर्ण भूमिका निभा सकता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारत किसी भी खेमे से नहीं जुड़ा है और सभी देशों के साथ समान संबंध बनाने का हामी है। अब यह देखने की बात होगी कि भारत यह भूमिका किस तरह से निभाता है।