खुद दुलहा चललन शरीर में लगाई के भभूत।
बारात में शामिल बाड़े सांप, बिच्छू अउरी भूत।।
देखि के आ गई ल मैनावती माई क चक्कर,
रूप बदले खातिर हिमावन महाराज भेजले बाड़न दूत।
केहू के समझ में ना आवत भोले बाबा क महिमा,
पांव पूजे खातिर आगे बढ़ला पर दिखे सब भूत।
मां गौरी क सखियां भागी गईली सब घर छोड़ के,
तब गौरी जागी और शांत हुए बाबा अवधूत।। -जय भोले
- उपेंद्र नाथ राय ‘घुमन्तु’