व्यंग : अंशुमान खरे
सरकार ने बाजार खोल दिए हैं, लाकडाउन खरामा खरामा हटाया जा रहा है। पर कोरोना का आतंक सभी के दिलों दिमाग पर छाया है। सरकार ने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सब कुछ पाबंदियों के साथ खोल दिया है। सब कुछ भगवान भरोसे। अपनी बचत स्वयं करें। बाजार खुलने के बाद एकबारगी लोग सड़कों पर दिखने लगे हैं। समझदार आदमी अभी बाहर निकलना नहीं चाह रहा। कोरोना का डर अभी दिलोदिमाग पर बैठा है। कोरोना किसी को पहचानता नहीं। सावधानी हटी दुर्घटना घटी।
माल, रेस्टोरेंट, होटल, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च सब खुल तो गए हैं, पर सभी जगह सन्नाटा पसरा है। बाहर के माहौल में कोरोना का कौन शिकार हो जाए, पता नहीं। दुकानदार सेनिटाइजर लेकर स्वागत में खड़े हैं, पर ग्राहक हाथ ही धरने नहीं दे रहा है। दुकानदार चाहता है कुछ तो बिके, पर ग्राहक कोरोना के डर से बाहर नहीं निकलना चाहता। सामान बिकेगा नहीं तो व्यापार कैसे चलेगा।
किराने का सामान बस धड़ल्ले से लाकडाउन मे भी बिक रहा था, वही आज भी बिक रहा है। कपड़ा लत्ता, फैशन तो आदमी भूल सा गया है। कोरोना के डर से लोग ब्यूटी पार्लर, नाई की दुकान की तरफ देखते ही नहीं। ज़िन्दा रहे तो आगे देखा जाएगा। आ बैल मुझे मार, कोई फंसना नहीं चाहता। चटोरी जीभ का भी कहा नहीं मान रहे हैं लोग। दूर से ही प्रेमिका को निहार रहे हैं। दूरी बनाए रखना जीवन की कुंजी है। ज़िन्दा रहे तो गले भी मिल लेंगे।
सड़कों पर आवागमन न के बराबर। भविष्यवाणी है कि कोराना अभी दो तीन महीने ऐसे ही उधम मचाएगा। किसके गले पड़ जाए पता नहीं। अभी कोई वैक्सीन भी नहीं बनी। इलाज के नाम पर अंधेरे में तीर मारे जा रहे हैं। बन्दा बच गया तो वाह वाह , नहीं तो लापरवाहियों का इल्जाम लगाकर धरना प्रदर्शन । धरना प्रदर्शन पर रोक का रोना अलग। जरूरी नहीं कि घर से निकला ही जाए। कोरोना अपने आप नहीं आएगा, आप जब बाहर जाएंगे,तभी वह लग लेगा। लापरवाही की सजा कोरोना जरूर देगा। शासन ,प्रशासन के बताए नियम कायदों का पालन करेंगे तो कोरोना से बचे रहेंगे।
दद्दा लाकडाउन मे न निकल पाने की कसर अब पूरी करना चाहते हैं। सुबह से ही मास्क लगाकर पूरे बाजार में घूम घूमकर जगह जगह हाथों को सैनिटाइजर से सैनिटाइज करके यूं घूम रहे हैं, जैसे कल से फिर लाकडाउन हो जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स तो और डरा रही हैं। महामारी का प्रकोप दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है। दद्दा अभी भी लाकडाउन में पुलिस की मार को भूले नहीं हैं। रहरह कर दर्द उभर आता है। अब पुलिस वाले सड़क किनारे बैठकर मजे ले रहे हैं। टोंकाटाकी बिल्कुल नहीं। जहां मन हो घूमो। सामाजिक दूरी बनाए रखना है बस। बगैर जरूरी काम के अगर चहलकदमी की तो कोरोना कब चढ़ लेगा पता नहीं।
टीवी और अखबार वाले संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ती हुई दिखाकर दहशत पैदा कर रहे हैं। न जाने कितने डाक्टर, नर्स, पुलिस और पैरामेडिकल स्टाफ लोगों की सेवा करते करते स्वयं संक्रमित हो गए। कितनों को मौत से नहीं बचाया जा सका। फिर भी दद्दा जैसे लोग बिना रोक टोक आवारागर्दी करते रहते हैं। बगैर जरूरी काम के घूमना ,हिम्मत का काम है। ऐसे लोगों को समझाना, पत्थर को समझाना है, न सुनना, न समझना।
दद्दा का कहना है कि जब मौत आनी होगी आ जाएगी। दहशत मे जीना भी कोई जीना है। दद्दा तो अमरौती खाकर आए हैं। दद्दा तो सैलून जाकर बाल कटवा आए। कोरोना की ऐसी तैसी। दद्दा की सांसें थम गई, जब अखबार मे सैलून वाला नाई संक्रमित पाया गया। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के लोग अब उन सारे लोगों को ढूंढ़ रहे हैं जिन्होंने सैलून में हेयर कटिंग कराई थी। सैलून से लेकर पूरी बाजार को हाटस्पाट घोषित कर दिया गया। सारी दुकानें फटाफट बन्द करवा दी गई। पुलिस फोर्स लग गई, कर्फ्यू का माहौल हो गया। दद्दा ने डर के मारे अपने को घर में कैदकर लिया। घरवालों को हिदायत दे दी कि कोई पुलिस को नहीं बताएगा मैने सैलून मे कटिंग कराई है।
दहशत के मारे कई दिनों तक दद्दा घर में ही कैद रहे। पुलिस के डर से हर समय चौकन्ने रहते हैं। न मालूम कब पुलिस वाले आ धमकें और पूंछ तांछ करें कि सैलून में कब और क्यों गए थे। जांच के लिए उठा ले जाएं। गल्ती से संक्रमित निकल आए तो सब गुड़गोबर। बुरा वक्त आने में समय नहीं लगता है। अब दद्दा सभी लोगों को घर में ही रहने की सलाह देते हैं। जरा सी खांसी आने पर दहशत में आ जाते हैं।
दद्दा का सबको संदेश -घर में रहें, सुरक्षित रहें। कोई गलतफहमी न पालें। कोराना का कोई सगा नहीं, जिसको उसने ठगा नहीं।