देखो गुमसुम-गुमसुम पायल
कैसी भी हो विषम परिस्थिति,
जीवन को श्रृंगार लिखें,
आओ हम – तुम प्यार लिखें।
निन्दा – पत्र लिखें नफ़रत को,
कुण्ठाओं को कालापानी।
कुछ पल काँटों को बिसराकर,
फूलों की लिख दें अगवानी।
जो मौसम का कहा मान ले,
ऐसी नयी बहार लिखें।
आओ – – – – –
पनघट वाले गीत खो गये,
कोयल की तानें हैं घायल।
वंशी के स्वर ढूंढ रही है,
देखो गुमसुम – गुमसुम पायल।
वंशी , पायल , पनघट वाले,
सपनों का संसार लिखें।
आओ – – – – –
साँस – साँस सरगम हो जाए ,
पीर , प्यार की प्रणय – पत्रिका।
आँखों से जब जल – कण ढुलकें,
रच दें भावुक विनय पत्रिका।
अक्षर – अक्षर पंक्ति – पंक्ति में,
आहों का उपचार लिखें।
आओ – – – – –
भावुक, निर्जला नदी ( गीत – संग्रह)