डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रववाद की अवधारणा अत्यन्त व्यापक है। इसमें सभी उपासना पद्धतियों का समान रूप से महत्व व सम्मान रहा है। स्वतन्त्रता के बाद बल्लभ भाई पटेल ने राष्ट्रीय एकता कायम की थी। उनकी जयंती एकता दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह संयोग था कि दिन राष्ट्रीय एकता व सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की चेतना दिखाई दी।
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के एकता सूत्र प्रेणता सरदार बल्लभ भाई पटेल:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में राम जन्म भूमि पर काबुल नदी और गंगा नदी का जल चढ़ाया। काबुल नदी का जल अफगानिस्तान की एक लड़की ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम जन्मभूमि पर अर्पित करने के लिए भेजा था।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगवान श्री राम जी के भव्य मंदिर के निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। आज गंगा जल के साथ काबुल नदी से आये जल को समर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। अफगानिस्तान के हालात जगजाहिर हैं। इन स्थितियों में भी एक बालिका श्री राम जन्मभूमि परिसर के लिए भेंट भेजती है तो यह अत्यंत अभिनंदनीय है। दुनिया भर से पवित्र नदियों के जल का उपयोग उस स्थान पर किया जाएगा जहां भगवान राम का मंदिर बन रहा है।
राष्ट्रीय एकता की जब भी चर्चा होगी बल्लभ भाई पटेल का नाम सम्मान से साथ याद किया जाएगा। स्वतन्त्रता संग्राम से लेकर मजबूत और एकीकृत भारत के निर्माण तक में सरदार वल्लभ भाई पटेल का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका जीवन, व्यक्तित्व और कृतित्व सदैव प्रेरणा के रूप में देश के सामने रहेगा। उन्होने युवावस्था में ही राष्ट्र और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लिया था। इस ध्येय पथ पर वह निःस्वार्थ भाव से लगे रहे। गीता में भगवान कृष्ण ने कर्म को योग रूप में समझाया है। अर्थात अपनी पूरी कुशलता और क्षमता के साथ दायित्व का निर्वाह करना चाहिए।
सरदार पटेल ने आजीवन इसी आदर्श पर अमल किया। सरदार वल्लभ भाई पटेल जब वह वकील के दायित्व का निर्वाह कर रहे थे, तब उसमें भी उन्होंने मिसाल कायम की।