आयुर्वेदाचार्य ने कहा, कम होते ठंड में जरूर लें अजवाइन, बहुत से रोगों में है लाभकारी
ठंड या तो शुरू में लगती है या उतरते वक्त। इसका कारण है लापरवाही। ऐसे में यही मौसम है, जब ठंड से ज्यादा सजग रहने की जरूरत है। थोड़ी भी लापरवाही आपको परेशान कर सकती है। ऐसे में मसालों में विशेषकर प्रयोग किया जाने वाला अजवाइन बड़ी काम की चीज है।
तीक्ष्ण व पित्तवर्धक अजवाइन के बारे में संस्कृत में कहा गया है कि ‘एकाजवानी शतमन्ना पचिका’ अर्थात अकेली अजवाइन ही सैकड़ों प्रकार के अन्न को पचाने वाली होती है। यदि आपको ठंड लग जाय तो इसका सेवन रामबाण की तरह काम करता है।
चिरायता, काली मिर्च व हींग का गुण भी अजवाईन में:
इस संबंध में आयुर्वेदाचार्य डाक्टर एसके राय का कहना है कि कैल्शियम, प्रोटीन, ऊर्जा व कई तरह के विटामिन लिए हुए अजवाइन पित्तवर्द्धक होने के साथ ही ठंड का असर कम करने के साथ ही सैकड़ों रोगों से मुक्ति दिलाने में कारगर है। इस एक ही वस्तु में हींग का वायुनाशक गुण, चिरायते का कटु पौष्टिक तत्व और कालीमिर्च का अग्निदीपक गुण पाया जाता है। इसी कारण अजवाइन कफ, वायु, पेट का दर्द, वायु गोला, आफरा तथा कृमि रोग को नष्ट करने में समक्ष है। हैजे की प्राथमिक स्थिति में भी इसका प्रयोग उपयोगी है।
सेंधा नमक के साथ लेने पर पेट दर्द, अपच की समस्या हो जाती है दूर:
आयुर्वेदाचार्य ने बताया कि इसको कई रूपों में प्रयोग किया जा सकता है। इसका चूर्ण बनाकर व आठवाँ हिस्सा सेंधा नमक के साथ 2 ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन करने पर पेट में दर्द, मन्दाग्नि, अपच, अफरा, अजीर्ण में लाभकारी होती है। इसका सेवन दिन में तीन बार करना चाहिए। इसको रात में चबाकर पानी पीने से सुबह पेट साफ हो जाता है। यह पेट के कीड़े को भी बाहर निकालने में लाभकारी है। उन्होंने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में बताया कि फूल को शक्कर के साथ तीन-चार बार पानी से लेने से पित्ती की बीमारी ठीक होती है।
चर्मरोग के साथ ही रक्तचाप व ब्लडप्रेशर में भी है लाभप्रद:
डाक्टर एसके राय ने बताया कि अजवायन के चार रत्ती फूल, चार रत्ती गिलोय सत्व के साथ मिलाकर चर्म रोगों में ऊँगलियों के काम न करने पर, वायु के दर्द, रक्तचाप और ब्लडप्रेशर में लाभप्रद सिद्ध होता है। इसका एक छटॉक अर्क पुरानी खॉसी, बड़ी खॉसी तथा कफ में लाभकारी होता है। अजवायन के फूल को शहद में मिलाकर लें तो कफ आना रुकता है।
अर्क दस्त को करता है बंद:
उन्होंने बताया कि इसका अर्क या तेल 10-15 बूँद बराबर लेते रहने से दस्त बंद होते हैं। इसका चूर्ण दो-दो ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार लेने से ठंड का बुखार शान्त होता है। एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगोकर सुबह शहद के साथ मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है। इसके पानी से धोने पर घाव, दाद, खुजली, फुंसियाँ आदि चर्मरोग नष्ट होते हैं।
मालिश से शरीर का दर्द होता है दूर:
अजवायन वायु को नष्ट करने और बल को बढ़ाने में सहायक है। इसके तेल की मालिश से शरीर दर्द रहीत होता है। इसका प्रयोग प्रसव के बाद अग्नि की प्रदिप्त करने और भोजन को पचाने, वायु एवं गर्भाशय को शुद्ध करने के निमित्त किया जाता है। इसका प्रयोग करपे समय चूर्ण 2 से 4 ग्राम, तेल हो तो 4 ग्राम बूंद, फूल हो तो 1 रत्ती और अर्क हो तो 50 ग्राम तक मात्रा रखनी चाहिये।
महिलाओं के तमाम रोगों में रामबाण की तरह करता है काम:
डाक्टर एसके राय के अनुसार इसके गुड़ के साथ सेवन से प्रसुतावस्था में मंदाग्री, रक्ताकाल्पता, कमर दर्द, कमजोरी, गर्भाशय में रक्तविकार आदि दूर होता है। गरम दूध के साथ अजवायन का चूर्ण खाने से मासिक धर्म का रक्त खुलकर आने से गर्भाशय साफ हो जाता है और दर्द मिट जाता है। प्रसव के बाद का मंद ज्वर, उदर-शूल, मंदाग्री, जलन, पेट में तनाव, जुकाम-खाँसी, सूजन, हाथ-पैरों की जलन, रुधिर या धातु-पदार्थ का मूत्र-मार्ग से बाहर निकलना आदि लक्षण प्रकट होने पर अजवायन डालकर जलाये हुए सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए।
गठिया रोग व मसूंड़ों के सूजन में भी है फायदेमंद:
आयुर्वेचार्य ने बताया कि अजवाइन से गठिया के रोग में भी आराम मिलता है। अजवाइन के चूरन की पोटली बनाकर घुटनों में सेंकने से फायदा होता है। आधा कप अजवाइन के रस में सौंठ मिलाकर पीने से भी गठिया का रोग ठीक हो जाता है। अगर मसूड़ों में सूजन हो तो गुनगुने पानी में अजवाइन के तेल की कुछ बूंदे डालकर कुल्ला करने से आराम मिलेगा। यह जाइजेशन ठीक करता है। इस कारण इसके सेवन से चेहरे पर मुंहासे भी ठीक होंगे। दही के साथ थोड़े से अजवाइन पीसकर इस लेप को चेहरे पर लगाएं। जब लेप सूख जाए तब इसे गर्म पानी से साफ कर लें। कुछ ही दिनों में मुंहासे गायब हो जाएंगे।