बहुजनों को किताबों और इतिहास में नहीं किया गया शामिल : मनीष
लखनऊ। बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर यूनिवर्सिटी के छात्र संगठन एयूडीएसयू ने विश्व आदिवासी दिवस पर संगोष्ठी आयोजित हुई। देश में आदिवासियो पर हो रहे अत्याचार पर विचार-विमर्श किया। संगठन ने सरकार से मणिपुर हिंसा पर कार्यवाही की माँग की। आलोक ने आदिवासी शब्द का अर्थ बताया और उन्होंने कहा कि जनजातियों का लगातार शोषण हो रहा है। इसके लिए बहुजन समाज को एक होना पड़ेगा और संघर्ष करना पड़ेगा।
उन्होने आदिवासियों के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान पर भी बात की। पवन सिंह राणा ने सबसे बड़ी जनजाति थारू के बार में प्रकाश डाला और जनजातियों के शोषण खिलाफ सभी साथ आना होगा। मनीष ने आधुनिक भारत में जनजाति की स्थिति पर चर्चा की।
मनीष ने कहा कि बहुजनों को किताबों और इतिहास में शामिल ही नहीं किया गया। आलोक सिंह ने वर्तमान समय में सरकार की बहुजन विरोधी नीतियों पर तीखी प्रतिक्रिया दी और उन्होंने कहा कि जिस बहुजन एक हो जाएगा उसी दिन सरकार को फ़ैसले और नीतियाँ को बदलना पड़ेगा। सोनू,विनय कनौजिया, मूलचंद, उत्पल, विवेकानंद गौतम,अंकित, चित्रांशु भाष्कर आदि मौजूद रहे।