जी के चक्रवर्ती
बिहार की राजनीति में 70 वर्ष के वरिष्ठ समाजवादी नेता के रूप मे शरद यादव के नाम से हम सभी भली भांति परिचित हैं।
जब हम बिहार के राजनीति की बात करते हैं तो बिहार की जमीन राजनीतिक रूप से सर्वदा उर्वरक रही है और भारत के इस राज्य ने देश को कई राजनेता दिये हैं उनमे से एक नाम शरद यादव का है।
राजनीतिक जोड़-तोड़ करने में माहिर खिलाड़ी के रूप मे जाने पहचाने वाले शरद यादव को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजनीतिक गुरु होने के अलावा लालू प्रसाद यादव के भी राजनीतिक चरित्र के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उनकी लालू यादव एवं मुलायम सिंह यादव के साथ रही मित्रता और फिर उनसे दूरियों के किस्से कहानियां तो बिहार से लेकर दिल्ली की राजनीतिक गलियारों में बहुत प्रसिद्ध है।
देश के मध्य प्रदेश राज्य के दिग्गज नेताओं में शुमार किये जाने वाले शरद यादव का जन्म 1 जुलाई वर्ष 1947 में होशंगाबाद, मध्य प्रदेश के अखमाउ गाँव में हुआ था। उनके बिहार में किंग मेकर बन कर कैसे उभरें, और बिहार के लालू प्रसाद के साथ उनकी दोस्ती और फिर उनके अलगाव होने तक का सफर बहुत ही रोचक रहा है।
बिहार के लालू प्रसाद यादव को शरद यादव अपना बड़े भाई समान मानते थे और लालू को बिहार के मुख्यमंत्री पद पर बैठाने में उनकी महत्पूर्ण भूमिका रही है।
शरद यादव समाजवादी राजनीति के पुरोधा नेताओं में शुमार किये जाते थे। उन्होंने भारतीय राजनीति में पांच दशक से भी अधिक तक का समय सक्रियता और बेबाकी से गुजारने के लिये जाने जाते रहेंगे। वे एक लम्बे समय तक केंद्रीय राजनीति में भी रहे, प्रमुख रूप से बिहार की राजनीति में उनकी विशिष्ट पहचान होने के साथ-साथ जनता के बीच एक लोकप्रिय नेता के रूप मे जाने जाते रहे हैं।
वर्ष 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान जबलपुर मध्यप्रदेश में शरद यादव छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। 70 के ही दशक में कांग्रेस विरोधी आंदोलन के दौरान उनके राजनीतिक कैरियर की शुरूआत हुई। वर्ष 1974 में शरद यादव का राजनीतिक कद उस समय और भी बढ़ गया, जब उन्होंने चौधरी चरण सिंह की भारतीय लोक दल पार्टी की ओर से विपक्ष के उम्मीदवार के रूप मे मध्य प्रदेश के जबलपुर के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को मात दे दी और दूसरी बार वर्ष 1977 में उन्होंने इस सीट से जीत हासिल की।
उनका निधन दिन बृहस्पतिवार 12 जनवरी 2023 की रात गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में हो गया। वह अपने छतरपुर स्थित आवास पर बेहोश हो गए थे जिसके बाद उन्हें अचेत अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया वे 75 वर्ष के थे और उनके परिवार में उनकी पत्नी, बेटा और बेटी हैं।