रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लंबा खिंचता नज़र आ रहा है दोनों ओर से हज़ारों लोग जान गवां बैठे हैं लेकिन फिर युद्ध जारी है। दुनिया के कई देशों की अपीलों के बावजूद रूस और यूक्रेन के बीच हो रहा युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों पक्ष पूरी मजबूती के साथ डटे हुए हैं। अब तो रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी सेना को परमाणु युद्ध के लिए भी तैयार रहने को कहा है। इस तरह लग यह रहा है कि लड़ाई लंबी खिंचेगी। यह भी सही है कि इसकी मार इन दोनों देशों के अलावा पूरी दुनिया को भी झेलनी पड़ेगी। एक डर यह भी है कि यह युद्ध दुनिया के ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था को फिर से चौपट न कर दे। पिछले कुछ दिनों से इसका असर दिखने भी लगा है।
तमाम देशों के शेयर बाजारों में मची उथल-पुथल इस बात का संकेत दे रही है। संकट ज्यादा गंभीर इसलिए भी है कि गत दो साल में कोरोना महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को तबाह कर डाला है। ध्यान रहने की बात यह है कि महामारी से उपजे संकट से उबरने के लिए सभी देशों को बड़े कदम उठाने पड़े। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए प्रोत्साहन पैकेज भी जारी किए। ऐसे में अगर दुनिया के बड़े देश जंग में कूदने लगें और सख्त आर्थिक प्रतिबंधों जैसी स्थितियां बनने लगें तो हालात बिगड़ेंगे ही। जिन देशों के यूक्रेन और रूस के साथ कारोबारी रिश्ते हैं, उनके लिए और भी मुश्किलें खड़ी होंगी। वैश्विक व्यापार में हर देश दसरे पर निर्भर रहता है। जाहिर है, ऐसे में रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगने से उन देशों के कारोबार प्रभावित होंगे जिनके उसके साथ द्विपक्षीय समझौते हैं।
भारत ही यूरोपीय देशों के साथ कई तरह के सामान आयात और निर्यात करता है। अगर कुछ समय के लिए भी व्यापार में बाधा आ जाती है तो स्थानीय स्तर पर इसका असर पड़ते देर नहीं लगने वाली। पिछले दो साल में ज्यादातर देशों में गरीबी बढ़ी है, बेरोजगारी भी बढ़ रही है। लोगों की आय में भारी गिरावट आई है। इस वक्त सरकारों के सामने बड़ी चुनौती अर्थव्यवस्था को और नीचे जाने से बचाने की है। ऐसे में रूस-यूक्रेन संकट अगर लंबा खिंच गया तो दुनिया एक और नए जंजाल में फंस जाएगी।