जी के चक्रवर्ती
जब हम और आप अपने -अपने दिनचर्या के कार्यों में मशगूल रहते हैं उस वक्त हमारे देश और विदेशों के वैज्ञानिक अपने प्रयोगशालाओं में विभिन्न वस्तु विषयों पर अनुसंधान के कार्यों में लगे रहते हैं और उनमें से कुछ विभिन्न प्रकार के अनुसंधानों को अपने अंजाम तक पहुंचाने में कामयाब हो जाते हैं। चाहे दिन हो या फिर रात खाना खाने से लेकर सोने तक जैसी नित्य कर्मों का परित्याग कर कुछ नवीनतम खोज कर आम साधारण लोगों की जिंदगी में परिवर्तन लाने उनके खाने पीने से लेकर समस्त दिनचर्या को सुगम बनाने का काम निस्वार्थ भावना से करते रहते हैं।
यदि देखा जाए तो यह भी देश सेवा करने का एक माध्यम और कार्य है भले ही उनके खोज और कार्यों को आम साधारण लोग समझ पाने में असमर्थ हों। उनका कार्य देश और देशवासियों के प्रति बहुत बड़ा त्याग और बलिदान है। किसी चीज पर अनुसंधान करते हुए वैज्ञानिक जब तक किसी निर्णय पर नही पहुंच जाते हैं तब तक दिन और रात एक कर देते हैं और अंत में मानवता को एक अमूल्य भेंट देते हैं जिससे इंसानी दुनिया की शक्ल सूरत ही बदल जाति है।
बता दें कि पिछले 3 अगस्त 2022 के दिन वैज्ञानिकों ने यह घोषणा की है कि उन्होंने एक घंटे तक के लिए एक मृत सुअर के पूरे शरीर में रक्त प्रवाह और कोशिकाओं के संचालन के कार्य को पुनः बहाल कर दिया है, कुछ सफल विशेषज्ञों का कहना है कि इसका अर्थ यह है कि शायद हमे मृत्यु की परिभाषा को ही बदलने की आवश्यकता पड़े।
सवाल उठता है कि क्या मरे हुए जीव को पुनः जीवित किया जा सकता है? ऐसे में यह सवाल हम में से अधिकतर लोगों के मन मस्तिष्क में एक न एक समय आया तो अवश्य होगा और हां वैज्ञानिकों ने इसका उत्तर भी हमे दिया है। वैज्ञानिकों ने मृत हो चुके सुअर के अंगों की कोशिकाओं में पुनः प्राण डाल कर उसे जीवित कर दिखाया है।
एक विदेशी समाचार पत्र में छपे एक लेख के अनुसार, “येल विश्वविद्यालय” जो न्यू हेवन, कनेक्टिकट में स्थित एक निजी आइवी लीग अनुसंधान विश्वविद्यालय है । वर्ष1701 में यह कॉलेजिएट स्कूल के नाम से स्थापित हुआ था, यह संयुक्त राज्य अमेरिका में उच्च शिक्षा का तीसरा सबसे पुराना और दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित संस्थान में से एक है।) ने एक ऐसी नई तकनीक का प्रयोग कर मृत सुअरों के कुछ अंगों के कोशिकाओं को पुनर्स्थापित कर दिखाया है। यानि जो अंग काम नहीं कर रहे थे वह इस तकनीक के प्रयोग करने से दोबारा काम करने लगे।
इस तरह के प्रयोगों से यह सिद्ध होता है की निकट भविष्य में हमारे वैज्ञानिक मृत्य इंसानी शरीर में पुनः जान डालने में सक्षम हो जायेंगे।