वीर विनोद छाबड़ा
‘मदर इंडिया’ की कामयाबी के बाद सुनील दत्त की पतंग आसमान में उड़ने लगी थी। वो नरगिस को बहुत चाहते थे और नरगिस भी उन्हें उतना ही चाहती थीं। दोनों जल्दी ही शादी करना चाहते थे। लेकिन प्रॉब्लम यह थी कि सुनील दत्त एक कमरे के फ्लैट में रहते थे। उनकी बहन रानी भी अपने बच्चों के संग उसी घर में रहती। छोटे से फ्लैट में दो परिवार कैसे रहेंगे?
लेकिन जहां चाह, वहां राह। पाली हिल पर एक वीरान बंगला मिल गया। दलाल ने किश्तों पर दिला दिया, इस शर्त पर की तीन फ़िल्में करनी पड़ेंगी। सुनील सहमत हो गए।
एक दिन सुनील दत्त नरगिस को बंगला दिखाने ले गए। उन्होंने बताया कि शादी के बाद वो इसी घर में रहने के लिए आ रही है। नरगिस बहुत खुश हुईं। उन्होंने चाहा कि इसे तोड़ कर दोबारा बनाया जाए। लेकिन सुनील दत्त किसी तरह टाल गए। दरअसल, नरगिस को उन्होंने नहीं बताया था कि बंगला किश्तों पर है और वो किश्तों के बदले तीन फ़िल्में भी करने वाले हैं।
संयोग से शादी के बाद सुनील दत्त की लॉटरी लग गयी। वो बंगला उनका हो गया। किश्तों के बदले जो पहली ही फिल्म ‘पोस्ट बॉक्स न। 999 ‘ उन्होंने की थी वो इतनी कमाई दे गई कि अब आगे किश्तों के बदले फ़िल्में करने की ज़रूरत ही नहीं रही। दोनों ने तय किया कि प्यार की निशानी के तौर पर बंगले का बाहरी लुक वैसा ही रहने दिया जाए।
पचास साल बाद जब पाली हिल का वो बंगला दोबारा बना तो बदकिस्मती से उसे देखने के लिए न तो सुनील दत्त ज़िंदा थे और न नरगिस दत्त।