जी के चक्रवर्ती
जंगल बचने की मुहीम तेज है लेकिन फिर भी ग्रामीणों और आदिवासियों के प्रदर्शन को दर किनार कर जंगल की कटाई जारी है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगल की कटाई का काम शुरू कर दिया गया। यहां पहले से ही पेड़ों की कटाई कर कोयला खदान बनाने का विरोध कर रहे ग्रामीणों को पुलिस ने प्रदर्शन करते वक्त गिरफ्तार कर लिया था। इस पर वहां के प्रशासन का कहना है कि 45 हेक्टेयर भूमि पर के पेड़ काटे जाएंगे लेकिन यहां दशकों से हो रहे विरोध के बावजूद छत्तीसगढ़ में हसदेव के जंगलों के क्षेत्र में कोल ब्लॉक के लिए मंगलवार 27 सितम्बर 2022 की सुबह एक हजार से अधिक पुलिस बल की तैनाती कर प्रशासन और वन विभाग के लोगों ने पेड़ों की कटाई का काम शुरू कर दिया। पेड़ों की कटाई और कोयला खदान खोलने का विरोध ग्रामीण वर्षों से करते चल आ रहे हैं। एक साल से अधिक समय से ग्रामीणों के धरने पर बैठे रहने के बावजूद प्रशासन के कानो में जूं तक नहीं रेंगी।
जैसा कि हम सभी को पता है कि इस विरोध की प्रमुख कारण है कि यहां के आदिवासी ग्रामीणों के घर दहलीज तो उजड़ ही जायेंगे साथी ही उनके आजीविका का स्रोत जंगल होने से उनके रोजमर्रे के जिंदगी की आवश्यकताओं की कमी होने से उनके रहन- सहन भी बुरी तरह से प्रभावित होंगे।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर हसदेव अरण्य क्षेत्र को बचाने के लिए यहां पर अभी खुलने वाले अवशेष तीन खदानों के लिए वन काटने की अनुमति निरस्त कर दी है। नई खदान न खुलने से हसदेव अरण्य क्षेत्र के बीस लाख से ज्यादा वृक्षों को बचाया जा सकेगा।
हसदेव के जंगलों की कटाई कर कोयला खनन परियोजनाओं के लिए आवश्यक वन कटाई के कार्य से बचाने के लिए ग्रामीणों की कानूनी लड़ाई को उस समय तगड़ा झटका लगा था, जब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इसी वर्ष मई महीने में भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली ग्रामीणों की याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद इसे सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े एक मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार, राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और परसा केते कॉलरीज को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में इसका जवाब मांगा है।
Hasdev Jungle ko kyon ujada ja raha hai @RahulGandhi @priyankagandhi pic.twitter.com/V931vukkBI
— Nitesh Meghwal (@NiteshMeghwal10) September 30, 2022
वैसे आपको बता दें कि अब 7 वर्षों के बाद “वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट” द्वारा पिछले दिनों कराई गई एक अध्ययन की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि अभी तक हसदेव के जितने हिस्से में वन कटाई कर खनन कार्य हो गया उसके अलावा अन्य इलाको में खनन न किया जाए। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ की सरकार ने परसा ईस्ट केते बासन खदान के दूसरे चरण और परसा खदान को वन कटाई कर खनन की अनुमति दे दी है।
कोर्ट और “वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट” द्वारा किए गए अध्ययन की रिपोर्ट को न मानते हुए राज्य सरकार अपनी मनमानी करने पर आमादा है जिससे तो यही लगता है कि कहीं न कहीं यहां की सरकार प्रकृति की दुश्मन के रूप में इंसान और इंसानियत की दुश्मन होने के साथ ही साथ देश के लोगों के प्रति भी संवेदन हीन दिखाई देती है।