गौतम चक्रवर्ती
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पार्टी में फिर से एक बार अपने पार्टी अध्यक्ष को बदलने के लिए 17 अक्टूबर का दिन तय किया है और इसी के मद्देनजर बहुचर्चित “भारत जोड़ो यात्रा” का आरंभ बुधवार 7 सितम्बर वर्ष 2022 के दिन सुबह 7 बजे कन्याकुमारी के अगस्तीस्वरम से किया है।
इस यात्रा की कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक की यात्रा में कुल 150 दिनों की समय लगने का अनुमान है। यह यात्रा देश के एक दर्जन राज्यों से हो कर भी गुजरेगी लेकिन क्या इस यात्रा के मध्य देश के इन राज्यो से गुजरने के दौरान वहां की जनता के लिए क्या कुछ करके राहुल गांधी जनता का दिल जीतने का काम कर पाएंगे?
इस मामले राहुल गाँधी का कहना है कि देश में मोदी सरकार ने इतनी नफरत फैला दी है कि देश से आपसी भाई चारा मिट गया है इसलिए यह यात्रा बेहद जरुरी है।
कांग्रेस ने “नफरत छोड़ो-भारत जोड़ो” और “कदम मिले-वतन जुड़े” जैसे नारों के साथ यात्रा की शुरुआत जरूर की है, लेकिन यहां प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस अपने श्लोगनों के अनुरूप अपनी बात की महत्ता को यात्रा के दाैरान पड़ने वाले राज्यों के जनता को समझाने में सफल होंगे? वैसे हम सभी लोगों को यह पता है की ऐसी यात्राओं का उद्देश्य मात्र राजनीतिक है।
दरअसल यह तो वक्त ही बताएगा कि कांग्रेस पार्टी को इस यात्रा का आने वाले चुनावो में लाभ मिलेगा या नहीं? यह तो समय और माहौल के ऊपर निर्भर करता है कि एक समय लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं को उनके द्वारा आयोजित रथ यात्रा का राजनीतिक लाभ तो मिला अवश्य था, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि हमेशा ऐसी यात्रा सफल हो और उसमे आपेक्षित सफलता भी प्राप्त हो।
वास्तव में यदि हम कहें तो इस तरह की यात्राओं की सफलता और उसके राजनीतिक लाभ इस पर बार पर निर्भर करता है पार्टी के नेता जनता के मध्य वांछित संदेश पहुंचने में कामयाब हो पाते हैं या नहीं? वैसे बार- बार चुनावो में हार का सामना कर रही कांग्रेस जब तक देश की जनता के मध्य अपने आप को एक बिल्कुल नए तरीके से पेश कर धरातल से जुड़ी समस्यायों या देश की जनता के लिए उत्साह वर्धक कार्यों को करने में सफल नहीं हो पाती है तब तक कांग्रेस की पूर्व कालीन अपनी स्थिति को पुनः हासिल करने में सफलता नहीं मिल सकती है।