नई दिल्ली, 02 नवंबर 2021: 20 हजार यात्री ट्रेनों-मालगाड़ियों और रेल संरक्षा की कमान संभाल रहे दो हजार से अधिक रेल अधिकारियों का भविष्य अधर में है। रेलवे बोर्ड की लापरवाही के चलते पिछले चार साल से उक्त अधिकारियों (ग्रुप-बी) का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। इससे आर्थिक नुकसान उठाने के साथ ही रेलवे ग्रुप-ए के पदों पर उनकी नियुक्ति नहीं हो पा रही है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे में रीड़ की हड्डी माने जाने वाले इस वर्ग की उपेक्षा कर रेल संरक्षा से समझौता किया जा रहा है।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि विभागीय प्रोन्नति समिति (डीपीसी) द्वारा ग्रुप बी के अधिकारियों के प्रमोशन प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। यह सिलसिला 2016-17 से जारी है। 2021-22 ग्रुप बी को सूचीबद्ध नहीं किया गया है। जबकि केंद्र सरकार के नियम कहते हैं कि डीपीसी समय पर होनी चाहिए, जिससे अधिकारियों को 1 अप्रैल से प्रोन्नत कर नियुक्त किया जा सके। इस बाबत इंडियन रेलवे प्रमोटी ऑफिसर्स फेडरेशन की ओर से रेलवे बोर्ड के चेयरमैन को लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं।
मौजूदा रेलवे बोर्ड के चेयरमैन व सीईओ सुमित शर्मा को अप्रैल 2021 में लिखे पत्र में कहा गया है कि नियमत: रेलवे ग्रुप ए के कुल पदों में से 50 फीसदी पदों पर ग्रुप बी के अधिकारियों को प्रमोट कर नियुक्त करना है। रेलवे में ग्रुप ए के पदों को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से समय पर भरा जा रहा है, लेकिन प्रमोटी अफसरों का प्रमोशन चार साल से लटका हुआ है। रेलवे विशेषज्ञ पूर्व चीफ रोलिंग स्टॉक इंजीनियर एसके बंसल ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने 2017 में नियम बनाया था।
इसके अनुसार जो पद दो साल तक भरे नहीं जाएंगे, सरकार उनको सीज (समाप्त) कर देगी। रेलवे में ग्रुप बी के साथ हमेशा भेदभाव किया जा रहा है। गत वर्ष ग्रुप बी के पर्सनल कैडर को प्रमोशन दिया गया, लेकिन मैकेनिकल इंजीनियर, सिविल इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, सिग्नल एंड टेलीकॉम इंजीनियर सहित सात कैडर का प्रमोशन चार साल से नहीं हो पा रहा है। प्रमोशन नहीं मिलने से ग्रुप बी के अधिकारियों में हताशा और निराशा घर कर रही है। इसका सीधा असर रेल संरक्षा व ट्रेन परिचालन पर पड़ रहा है।
रोलिंग स्टॉक (इंजन-कोच-डिब्बे) की मरम्मत-रखरखाव, रेलवे ट्रैक की मरम्मत व निगरानी, सिग्नल सिस्टम आदि कार्य ग्रुप बी के अधिकारियों के कंधों पर हैं। सरकार 15 से 20 साल के अनुभवी ग्रुप बी के अधिकारियों की अनदेखी कर ग्रुप ए के अधिकारियों को आगे बढ़ा रही है, जिनका अधिकांश कार्य प्रशासन से जुड़ा होता है।