सावन की रिमझिम फुहारे और काली घटाओं के साथ ठंडी हवा का झोंका किसे नहीं अच्छा लगता जी हाँ सावन में भगवान शिव की उपस्थिति ऐसी ही है। और इस बार यह अनुभव एक नहीं पूरे दो महीने का होने वाला है वह भी ग्रहों के खास संयोग से! बता देते हैं कि सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस माह में शिव जी के भक्त पूरी श्रद्धा-भाव से अपने आराध्य देव की पूजा करते हैं। हर साल श्रावण मास यानी सावन महीने की शुरुआत आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि के अगले दिन से होती है।
इस बार सावन का पवित्र महीना 4 जुलाई 2023 से शुरू हो रहा है, जो कि 31 अगस्त 2023 को समाप्त होगा। यानी इस बार भक्तों को देवों के देव महादेव की उपासना के लिए कुल 59 दिन मिलने वाले हैं। इस बार शिव के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 4 के बजाय 8 सावन के सोमवार मिलेंगे।
क्यों बन रहा ऐसा संयोग: एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वैदिक पंचांग की गणना सौर मास और चंद्र मास के आधार पर की जाती है, जिसमें चंद्र मास 354 दिनों का होता है। वहीं सौर मास 365 दिन का। दोनों में 11 दिन का अंतर आता है और तीसरे साल यह अंतर 33 दिन का हो जाता है, जिसे अधिक मास कहा जाता है। ऐसे में इस बार सावन दो महीने का होने वाला है।
सावन का महीना शिव जी को समर्पित है इसलिए खास है सावन: धर्म शास्त्रों के अनुसार अधिक मास के स्वामी भगवान विष्णु हैं। वहीं सावन का महीना शिव जी को समर्पित है। ऐसे में इस बार सावन और अधिकमास साथ में पड़ने से भगवान शिव शंकर के साथ विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।
सावन सोमवार की तिथियां
- सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई
- सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई
- सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई
- सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई
- सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त
- सावन का छठा सोमवार:14 अगस्त
- सावन का सातवां सोमवार: 21 अगस्त
- सावन का आठवां सोमवार: 28 अगस्त
सावन सोमवार पूजा विधि
- सावन सोमवार के दिन सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- अपने दाहिने हाथ में जल लेकर सावन सोमवार व्रत का संकल्प लें।
- सभी देवताओं पर गंगा जल चढ़ाएं।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें।
- भोलेनाथ को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र चढ़ाएं।
- सामग्री चढ़ाते समय ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः का जाप करें और चंदन का तिलक लगाएं।
- सावन के सोमवार के व्रत के दिन सोमवार के व्रत की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए और अंत में आरती करनी चाहिए।
- भगवान शिव को प्रसाद के रूप में घी और चीनी का भोग लगाएं।