जी के चक्रवर्ती
दरअसल ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ होते ही पहाड़ी इलाकों के वनों में आग लगने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि होने लगती है जिसमे विशेषकर उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश के अतिरिक्त देश के अन्य राज्यों में स्थित पहाडों पर के जंगलों में इन दिनों भीषण अग्निकांड की घटनायें घटित होने से यहाँ की करोड़ों अरबों की बेश – कीमती वन संपदाये जंगलों में आग लगने से खाक हो चुकी है।
यह सिलसिला केवल इसी वर्ष ही नही है बल्कि प्रति वर्षो से जारी है। उत्तराखंड में जिस दर से जंगलों में आग लगने की घटनाएं साल दर साल बढ़ती चली जा यह हम सबको सोचने पर मजबूर कर रही हैं, बीते वर्ष अर्थात वर्ष 2021 में सर्वाधिक 2813 घटनायें वनाग्नि कांड की घटित हुई, जिसके कारण जंगल की आग पर काबू पाने के लिए यहां तक की वायु सेना के हेलीकॉप्टरों को भी मोर्चे पर लगाना पड़ा।
उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनायें ऐसी आपदा है, जिसके कारणों में इंसानी दखल प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। यहां के जंगलों में लगने वाले आग से प्रति वर्ष यहां सैकड़ों हेक्टेयर जंगल आग से राख हो जाया करते हैं और जिससे जैव विविधता, पर्यावरण और वन्य जीवों का भारी मात्रा में नुकसान होता है।
जंगलों में लगी आग ने अल्मोड़ा के कसार देवी में स्थित imperial heights को भी अपने चपेट में ले लिया.. pic.twitter.com/bWBAObxyqW
— Anand😎 (@pahadi_musafir) April 18, 2022
वहीं यदि हम कहे तो प्रतिवर्ष वातावरण के तापमान में बृद्धि होते रहने के कारण यहां वनाग्नि की घटनाओं में भी लगाता बढ़ोत्तरी हुई है। वैसे जंगल में आग लगने के और भी कई कारण हैं। जिसमें ईंधन, ऑक्सीजन और गर्मी मुख्य कारण हैं।
अगर गर्मियों का मौसम है, तो सूखा पड़ने पर जंगल के मध्य से गुजरने वाली ट्रेनों के पहिए से निकलने वाली चिंगारीयों से भी आग लग सकता है, इसके अलावा कभी−कभी आग प्राकृतिक रूप से भी लग जाती है, उसमे एक तीब्र गति से हवा चलने के कारण एक चीड़ के पेड़ से जब हवा के झोकों से जब यह पेड़ आपस मे टकराते हैं तो उन दोनो पेड़ो के घर्षण से भी आग लग जाती है, यह तो प्राकृतिक रूप से लगने वाली आग है लेकिन ज्यादातर यह देखने मे आता है की अत्याधिक गर्मी की के कारण या फिर बिजली कड़कने से भी वनों में अक्सर आग लग जाया करती है।
वैसे जंगलों में आग लगने के कारणों में ज्यादातर यह देखने मे आया है कि इंसानों द्वारा की जाने वाली लापरवाहियों में जैसे कैम्पफायर, बिना बुझी बीड़ी सिगरेट फेंकना, जलता हुआ कचरा डाल देना माचिस या ज्वलनशील चीजों से खेल कर वही छोड़ देना इत्यादि जैसे लापरवाही जैसे कारण जंगलों में आग लगने के मुख्य कारणों में से एक है।
दरअसल जंगलों की आग से न केवल प्रकृति झुलसती है, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारे व्यवहार पर भी प्रश्न उठता है कि गर्मियों के मौसम में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू−कश्मीर के जंगलों में आग लगने की घटनाएं अक्सर प्रकाश में आते रहने के बावजूद और ऐसी घटनाओं के इतिहास को देखते हुए इन्हें रोकने के लिए किसी भी सरकार द्वारा कोई ठोस योजना नहीं बनाई जाती है। एक अध्ययन के अनुसार, पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और समुद्र तटीय क्षेत्रों के जंगलों में आग लगने की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती ही चली जा रही हैं एसे में यदि इन हादसों पर त्वरित रूप से काबू नही पाया गया तो वह दिन दूर नही कि जब जंगल समाप्त हो जाने से भीषण पर्यावरण असंतुलन का सामना करना पड़ेगा।