विलुप्त हो रही नदी
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नदी विलुप्त हो रही है
विलुप्त हो रहे हैं –
जंगल, पक्षी, जानवर और
सीधे-सादे इंसान
बिना पेड़ के आक्सीजन की,
बिना पानी के जीवन की तकनीक
प्रयोगशालाओं में ढूंढी जा रही है
लेकिन अभी काफी कुछ बचा है
बचा है नदी का गीलापन,
जंगल की हरियाली,
पक्षियों का कलरव..
जानवरों की गुर्राहट…
अभी काफी कुछ बचा है
सीधा-सादा इंसान
अभी चिड़ियाघर या अजायबघर की
वस्तु नहीं बन पाया है
अपनी ही चली
तिकड़मी-चंगेजी चालों से
बचा लो ईश्वर!
इस जरा-सी जान वाले इंसान को
अन्यथा
विलुप्त तो हो ही रही है नदी…
– आनंद अभिषेक