Close Menu
Shagun News India
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Saturday, May 24
    Shagun News IndiaShagun News India
    Subscribe
    • होम
    • इंडिया
    • उत्तर प्रदेश
    • उत्तराखंड
    • राजस्थान
    • खेल
    • मनोरंजन
    • ब्लॉग
    • साहित्य
    • पिक्चर गैलरी
    • करियर
    • बिजनेस
    • बचपन
    • वीडियो
    Shagun News India
    Home»ब्लॉग

    फिर पधारों म्हारो देश चीता महाराज

    ShagunBy ShagunSeptember 18, 2022Updated:September 18, 2022 ब्लॉग No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    फोटो: सोशल मीडिया से साभार
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp
    Post Views: 559

    गौतम चक्रवर्ती

    17 सितम्बर के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जन्मदिन के अवसर पर मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया की राजधानी विंडहॉक से लाया गए 8 चीतों को छोड़ा गया है। इन चीतों में 5 मादा और 3 नर चीते हैं।

    हालांकि इन चीतों को दोबारा से भारत में बसाए जाने की प्रसन्नता के बीच पहला प्रश्न यह उठता है कि आखिर चीते भारत में विलुप्त क्यों और कैसे हो गए?

    एक समय भारत में, चीतों की संख्या बहुत हुआ करती थी। यह वन्यप्राणी उत्तर में जयपुर और लखनऊ से लेकर दक्षिण में मैसूर तक और पश्चिम में काठियावाड़ से पूर्व में देवगढ़ के जंगलों तक में बहुसंख्या में पाये जाते थे।

    भारतीय चीतों का तेजी से शिकार होते चले जाने के कारण एक समय उनकी प्रजाति संकट में आ गई। मध्य प्रदेश में कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने वर्ष 1947 में देश में शेष बचे अंतिम तीन चीतों का भी शिकार कर उन्हे मार डाला था।

    Leopard inside IIT Bombay campus. Sent by my son Sarthak who is doing his Mtech there. pic.twitter.com/xaHyQDv82w

    — Dr. Aloke Patnaik MD (@draloke) September 17, 2022

    उसके पश्चात वर्ष 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश में चीतों को विलुप्त वन्य प्राणी घोषित कर दिया। इससे पहले ऊंचे पहाड़ों, तटीय क्षेत्रों और उत्तर पूर्व के क्षेत्रों को छोड़कर सम्पूर्ण देश के जंगलें चीतों की आवाज से गुंजायमान रहा करती थी। भारत में मुगल साम्राज्य के दौरान अकबर कालीन समय में भारतीय वन्य क्षेत्रों में 1000 से अधिक चीतें हुआ करते थे, जिनका उपयोग काले हिरण और चिंकारे के शिकारों में किया जाता था।

    एक पशु विशेषज्ञ के रिपोर्ट के अनुसार, इस जानवर की विनम्रता ही इसके विनाश का कारण बना। दरअसल चीते इतने शालीन होते हैं कि इनकी तुलना बिल्लियों से भी की जा सकती है। अन्य वन्य प्राणी जैसे बाघ, शेर और तेंदुये की तरह चीतों ने हम इंसानों को कभी भयभीत नही किया है।

    कभी भारतीय राजघरानों में शिकार करने की परिपाटी में हिरन के बाद चीतों का शिकार करना उनका पसंदीदा शौक हुआ करता था और यह परिपाटी राजघरानों के मध्य सदियों से चली आ रहा थी। इन चीतों को वश में करना आसान हुआ करता था जिसके कारण बाघों की अपेक्षा यह कम खतरनाक और कम आक्रमणकारी हुआ करते हैं अक्सर इनका इस्तेमाल भारतीय कुलीन घरानों द्वारा शिकार के खेल खेलने के रूप में किया जाता रहा है। भारत में शिकार के लिए चीतों का निशाना बनाने का सबसे पहला अभिलेख 12वीं शताब्दी के “मानसउल्लास” जैसे संस्कृत पाठ में उल्लेखित मिलता है।

    शिकार के लिए चीतों को पकड़ने और उन्हें कैद में रखने के कारण उनकी प्रजनन दर में कमी आने लगी और धीरे -धीरे इसकी संख्या में अत्यंत गिरावट आती चली गई और एक समय आते आते देश में मात्र 3 ही चीते शेष बचे रह गए थे।

    बिल्ली के कुल (विडाल) में आने वाला चीता (एसीनोनिक्स जुबेटस) अपनी अदभुत फूर्ती और रफ्तार के लिए जाना पहचाना जाता है। यह अपने पंजों की बनावट के रूपांतरण के कारण पहचाने जाते हैं। इसी कारण, यह इकलौता विडाल वंशी है जिसके पंजे बंद नहीं होते हैं और जिसके कारण इसकी पकड़ भी कमज़ोर रहती है (अतः यह वृक्षों में नहीं चढ़ सकता है हालांकि अपने फुर्तीलेपन के कारण पेड़ों के नीची टहनियों तक ही इसकी पहुंच है)। ज़मीन पर रहने वाला ये सबसे तेज़ जानवर है जो एक छोटी सी छलांग में 120 कि॰मी॰ प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में समर्थ है।

    दरअसल हमारे देश के प्रधानमंत्री का उद्देश्य भारत में फिर से एक बार चीतों के पुनरुत्पादकता स्थापित कर चीतों की आबादी को उन क्षेत्रों में फिर से पुनरुस्थापना करना है कि जहां वे पहले मौजूद थे और उन चीतों के फलने -फूलने के लिए उनके अनुरूप परियावर्ण भी मौजूद है।

    Shagun

    Keep Reading

    बांग्लादेश में बढ़ा संकट: सेना और सरकार आमने -सामने, हो सकता है तख्तापलट!

    नक्सली बसवा राजू के आतंक का अंत

    तो क्या गाजा के युद्धग्रस्त इलाकों में 14,000 बच्चे भूखे मर जाएंगे!

    देश की एकता और अखंडता को तोड़ता भाषाई विवाद

    प्रेरणादायक कहानी: मोहम्मद यासीन बना ईमानदारी का सितारा, रजनीकांत ने किया सपना पूरा

    जब बाड़ ही खेत को खाने लग जाए, तो खेत बचाएगा कौन…

    Add A Comment
    Leave A Reply Cancel Reply

    EMAIL SUBSCRIPTIONS

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    Advertisment
    NUMBER OF VISITOR
    71938
    Visit Today : 269
    Visit Yesterday : 615
    Hits Today : 9971
    Total Hits : 4205386
    About



    ShagunNewsIndia.com is your all in one News website offering the latest happenings in UP.

    Editors: Upendra Rai & Neetu Singh

    Contact us: editshagun@gmail.com

    Facebook X (Twitter) LinkedIn WhatsApp
    Popular Posts

    प्रो. नैय्यर मसूद के व्यक्तित्व-कृतित्व पर चर्चा, साहित्य अकादमी ने जारी किया मोनोग्राफ

    May 23, 2025

    एक्सिस बैंक ने वाराणसी में डिजिटल परिवर्तन को दिया बढ़ावा

    May 23, 2025

    पाक सेना प्रवक्ता ने दी गीदड़ धमकी कहा : अगर आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांस रोक देंगे!

    May 23, 2025

    बांग्लादेश में बढ़ा संकट: सेना और सरकार आमने -सामने, हो सकता है तख्तापलट!

    May 23, 2025

    पाकिस्तान को हर आतंकी हमले की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी : नरेंद्र मोदी

    May 23, 2025

    Subscribe Newsletter

    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading
    © 2025 © ShagunNewsIndia.com | Designed & Developed by Krishna Maurya

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Newsletter
    Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
    Loading