आप से मिलने का ये अच्छा बहाना हो गया
उस गली में अब हमारा आना जाना हो गया
दिल में जब से आपकी चाहत बसी है आन कर
दर्द का भी देखिए पक्का ठिकाना हो गया
लब पे हैं नग़मे वफा के दिल मेरा मसरूर है
ज़िन्दगी के बाग़ का मौसम सुहाना हो गया
आप आयें या न आयें आहटों पर कान हैं
इस तरह जारी हमारा गुनगुनाना हो गया
हम करेंगे आप के सजदे इबादत आप की
इक तलब जागी है खुद को आज़माना हो गया
कुनकुनी सी धूप मेरे मेहरबां के इश्क की
ज़िन्दगी की सर्द शामों का नहाना हो गया
आ गई शैली मिलन की वो घड़ी भी ज़ीस्त में
उस की चौखट पे मेरा सर को झुकाना हो गया
– आशा शैली