बाघ दिवस 29 जुलाई : बाघ दिवस की शुभकामनाएं
दुधवा, बाघ, जंगल , मेरा परिवार और मेरे स्टूडेंट्स कभी लगता है बस ये ही मेरी जिंदगी हो गए है। हर साल नेचर स्कूल में नए बच्चे, नए सवाल ,वही उत्सुकता जंगल व बाघ को जानने की।
लेकिन मेरा वही पुराना तरीका जिसमे मैं बाघ बनकर बच्चो के सारे सवालों का जवाब देता हूँ। ज्यादातर सवाल यही होते है।
तुम (बाघ)हमारे खेतो में क्यो आते हो ??
तुम हमारे पालतू जानवरों को क्यो मारते हो ???
और अगर वो मेरे जवाब से संतुष्ट , तो समझो मेरी जीत । यही मेरा तरीका है बच्चों को खेल खेल में सिखाने का। आप इसका मजाक उड़ाए या हंसे मुझपर , मुझे कोई फर्क नही पड़ता क्योकि मुझे मालूम है मैं क्या कर रहा हूँ।
– अनुराग प्रकाश