असली भारत की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म ‘बधाई दो’ में बड़े विचित्र किरदार हैं, अपनी-सी बोली और बिंदास ह्यूमर हैं, साथ ही परिवार के ऐसे सदस्य हैं, जो हमेशा दूसरों के निजी मामलों में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं, चाहे वो प्यार हो या शादी। ‘बधाई दो’ में इन सभी खूबियों का फ्लेवर है, जिसका वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर ज़ी सिनेमा पर 28 मई को दोपहर 2:30 बजे होने जा रहा है।
हर्षवर्धन कुलकर्णी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में राजकुमार राव शार्दुल के रोल में और भूमि पेडणेकर तेजतर्रार सूमी के रोल में नजर आएंगी। इस फिल्म में हल्का-फुल्का फैमिली ड्रामा है और हंसी-मजाक के साथ-साथ भावनाओं का बढ़िया तालमेल है। इस मौके पर राजकुमार राव ने इस फिल्म में काम करने की वजह, अपने किरदार के लिए किए गए बदलाव और अपने को-स्टार के साथ काम करने के अनुभव के बारे में बताया।
‘बधाई दो’ की कहानी भारत के छोटे शहर में रची गई है। इस बारे में आपका क्या ख्याल है?
आज छोटे शहर की असली कहानियों की मांग है। आज दर्शक पर्दे पर सच्ची कहानियां और किरदार देखना चाहते हैं। इसी वजह से आज हमारे पास ऐसा सिनेमा है, जो अपना-सा और वास्तविक लगता है। इससे हमें एक्टर्स के रूप में अलग-अलग किरदार निभाने और छोटे शहरों की कहानियां बताने का मौका मिलता है। ‘बधाई दो’ के बारे में जो बात मुझे सबसे अच्छी लगी, वो ये कि इसमें एक आम परिवार में होने वालीं रोज की चर्चाओं को बड़े ह्यूमर के साथ स्मार्ट तरीके से पेश किया गया है। इसमें घर की नोकझोंक से लेकर सही उम्र में शादी करने का दबाव दिखाया गया है और किस तरह इन मामलों में सब अपनी-अपनी राय देते हैं। मुझे लगता है कि जब दर्शक इस फिल्म को देखेंगे, तो ज्यादातर भारतीय परिवार और जोड़ियां इस फिल्म से जुड़ जाएंगी और यही खूबी इस फिल्म को एक परफेक्ट फैमिली फिल्म बनाती हैं।
शार्दुल बाहर से आपको पड़ोस की लड़के की तरह नजर आता है। ऐसे में कौन-सी बात उसे अलग बनाती है? आपने शार्दुल के किरदार से कौन-सी खूबियां अपनाईं?
एक पारंपरिक भारतीय परिवार में पला-बढ़ा शार्दुल समाज के सांचे में ढलने की कोशिश कर रहा है। शार्दुल जैसा होने के लिए वाकई बड़ी हिम्मत चाहिए और मैंने अपने इस रोल की यही खूबी अपनाई है। मुझे लगता है कि मैं अपने किरदार से शुद्धता और विनम्रता सीखना चाहूंगा। मैं यह भी मानता हूं कि आज दुनिया को इन दो चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत है।
इस फिल्म में आपका लुक आपके द्वारा अब तक निभाए गए किरदारों से अलग है। आप इस किरदार में कैसे आए?
मैंने अब तक जितने भी किरदार निभाए हैं, उन सभी से यह किरदार दिखने में बिल्कुल अलग है। इस फिल्म के लिए मुझे हट्टा-कट्टा नजर आना था, क्योंकि मैं एक पुलिसवाले का रोल निभा रहा था। मैं हमेशा अपने किरदार के साथ न्याय करने में विश्वास करता हूं। इसलिए मैंने अपना रूटीन फॉलो किया और अपने खानपान पर पूरा नियंत्रण रखा। शार्दुल के रोल के लिए शारीरिक बदलाव के अलावा काफी विनम्रता और समझ की जरूरत थी और मैंने खुद को इस किरदार में सोचा और इसमें पूरी तरह ढल गया। यह बिल्कुल अलग और चुनौतीपूर्ण था।
भूमि पेडणेकर के साथ काम करने का अपना अनुभव बताइए?
मैंने जिन लोगों के साथ भी काम किया है, उनमें भूमि सबसे मेहनती को-स्टार्स में से एक हैं। वो हमेशा पूरी तैयारी के साथ आती थीं, चीजों को नोट करती थीं और नए आइडियाज़ के लिए हमेशा खुली रहती थीं। जब भी मुझमें सुधार की जरूरत होती थी, तो वो हमेशा मुझे सपोर्ट करती थीं। हालांकि उनके पेशेवर रुख से अलग बात करूं, तो उनके साथ काम करना बड़ा मजेदार था। मुझे याद है सेट पर हम लोग खूब हंसी-मजाक करते थे और उनकी बहुत टांग खींचते थे और वो भी इसे मजाक में लेती थीं।