डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारतीय दर्शन में जीवन का चौथा चरण सन्यास आश्रम होता है। लेकिन आध्यात्मिक प्ररेणा से किसी भी अवस्था में सन्यास ग्रहण किया जा सकता है। इस परम्परा में बालक, युवा और वृद्ध सभी लोग सम्मिलित है। हमारी परंपरा में इस प्रकार के सन्यास जीवन पर अमल करने वाले अनगिनत उदाहरण है। सन्यास आश्रम के साथ समाज सेवा को जोड़कर चलने की भी परम्परा रही है। इस मार्ग का अनुसरण करने वालों ने निजी जीवन सन्यास को अपनाया, इसी के साथ उसमें समाज सेवा का भी समावेश किया। इस प्रकार के उदाहरणों की भी कमी नहीं है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सन्यास की इसी परम्परा पर चल रहे है। वह निजी जीवन में सन्यास आश्रम की मर्यादाओं का अमल करते है। इसके साथ ही समाज सेवा के प्रति भी समर्पित है। सन्यास और समाज सेवा का सामंजस्य उनके आचरण में परिलक्षित होता है। मुझे कई बार योगी जी से मिलने का अवसर मिला। सरकार गठित होने के कुछ महीने बाद ही राजभवन के एक कार्यक्रम में उनसे मिलने का अवसर मिला। मैने उनको अपना नाम बताया। मेरा आकलन था कि उनको नाम बताना मात्र औपचारिकता रहेगी। इतनी व्यस्तता में उनको मेरे जैसे साधारण व्यक्ति का नाम क्या याद रहेगा। लेकिन मेरा आकलन असत्य था।
योगी जी ने कहा कि मैं आपके लेख मंगा कर पड़ता हूँ। मेरे लिए यह आश्चर्यजनक था। सोलह अठारह घण्टे कार्य करने वाले मुख्यमंत्री को मेरा नाम भी याद है, वह मेरे लेख भी देख लेते है। इसके बाद कई बार उनसे मिलने का अवसर मिला। हर बार एक बात समान लगी ऐसा लगा जैसे वह अपना प्रत्येक पल समाज के चिंता व सेवा में लगाने का प्रयास करते है।
सन्यास व समाज की यह भावभूमि उन्हें लोगों के कष्ट पर व्यथित करती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की संचारी रोग आपदा का लोकसभा में वर्णन करते हुए उनकी आँखें छलक जाती है। मुख्यमंत्री बने तो इस समस्या के समाधान पर ध्यान दिया। इस मामले में अभूतपूर्व सफलता मिली है। कई क्षेत्रों में सत्तर से अस्सी प्रतिशत तक सुधार हुआ है। सुधार की प्रक्रिया जारी है। समाज के प्रति उनकी संवेदना अक्सर दिखाई देती है। उनके पूर्व आश्रम के पिता का निधन होता है। योगी को सूचना मिलती है, प्रदेश में कोरोना आपदा है,वह आपदा प्रबंधन की बैठक जारी रखते है,मन की व्यथा को रोकते है,आंसू पोछ लेते है। जरुरतमन्दों के भोजन इलाज आदि की व्यवस्था करते है।प्रदेश की जनता के प्रति जिम्मेदारी का निर्वाह करते है। पूर्व आश्रम पिता के अंतिम संस्कार में नहीं जाते है।योगी आदित्यनाथ ने केंद्र की योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर क्रियान्वित किया. इसका सकरात्मक परीणाम दिख रहा है।
संविधान में संघीय व्यवस्था का प्रावधान है. जहां केंद्र और राज्य सरकार के बीच जनहित पर सहयोग की भावना होती है, वहाँ विकास का मार्ग प्रशस्त होता है. विपक्ष की अनेक प्रदेश सरकारें मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में उदासीनता दिखाती है. उन्हें लगता है कि इसका राजनीतिक लाभ केंद्र में सत्ता रूढ़ दल को मिलेगा. इस सोच का खामियाजा सम्बन्धित प्रदेश की जनता को होता है. योगी ने जनहित को महत्व दिया।उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड योगी आदित्यनाथ के नाम हुआ. उनकी सरकार ने पिछले कार्यकाल में ही विकास के अनेक कीर्तिमान बना दिए थे. विकास के अनुकूल माहौल बनाने के कारण उत्तर प्रदेश प्रगति के मार्ग पर अग्रसर है. पचास से अधिक योजनाओं के क्रियान्वयन में यूपी नंबर वन हो गया था. यह यात्रा सबका साथ सबका विकास के विचार पर आधारित थी. पिछली कई सरकारों को योगी ने अपने एक ही कार्यकाल में बहुत पीछे छोड़ दिया था. दूसरे कार्यकाल की शुरुआत भी नए मंसूबों के साथ हुई थी. चौसठ हजार हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि लोक कल्याण संकल्प पत्र में घोषित संकल्पों के लिए समर्पित है।
प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य के रूप में आगे बढ़ाने का रास्ता बना दिया है। यूपी देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है। नए भारत के नए यूपी के रूप में उभारने में सफलता प्राप्त की है। छह वर्ष पहले इसे बीमारू प्रदेश माना जाता था। निवेशकों की उत्तर प्रदेश में कोई दिलचस्पी नहीं थी। कानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया.आज उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आकर्षक हो गया है.योगी आदित्यनाथ ने सरकार के साथ व्यवस्था में बदलाव का संकल्प लिया. कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बनाना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता रही. बुलडोजर माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का प्रतीक बन गया. व्यवस्था में व्यापक सुधार हुआ। जनपद, एक उत्पाद’ योजना की शुरुआत उत्तर प्रदेश में की गयी थी. आज प्रदेश के सभी जनपदों का एक यूनिक प्रोडक्ट है।
ओडीओपी योजना ने प्रदेश के निर्यात को दोगुने से अधिक किया है.आज उत्तर प्रदेश एक्सपोर्ट का हब बन रहा है.राज्य को डिफेंस काॅरिडोर भी दिया है। लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल तथा झांसी में भारत डायनामिक्स यूनिट लग रही है। कानपुर में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग काॅरिडोर में अच्छा निवेश आ रहा है.
प्रदेश को देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य के रूप में आगे बढ़ाने का रास्ता बना दिया है। पहले यह कार्यकाल प्रदेश को बीमारू राज्य की पहचान से निकालकर समर्थ और सक्षम राज्य की ओर बढ़ाने का कालखंड रहा है। यूपी देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इसे आगे बढ़ाया जा रहा निवेश के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया है। इसी का परिणाम है कि यूपी में प्रतिव्यक्ति आय दोगुनी से अधिक पहुंच गई है। नए भारत के नए यूपी के रूप में उभारने में सफलता प्राप्त की है।
प्रदेश को नम्बर वन बनाने का संकल्प लिया है। राष्ट्रीय पटल पर एक नया सक्षम और समर्थ उत्तर प्रदेश उभर कर आया है।विगत छह वर्षां में प्रदेश के बजट में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है। इस दौरान प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय दोगुने से अधिक हुई तथा जीडीपी में भी दोगुने से अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। इस दौरान प्रदेश में बजट के दायरे को बढ़ाया गया है। यह उत्तर प्रदेश के अनुरूप है। राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने के लिए सभी सम्भव प्रयास किए जा रहे हैं.तथा नेट जीरो की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अयोध्या को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की कार्यवाही को आगे बढ़ाया जा रहा है।यूपी सर्वाधिक एक्सप्रेस वे वाला प्रदेश बन गया है। इसके साथ ही सड़कों के निर्माण और इनके किनारे पर औद्योगिक गलियारा बनाने का भी अभूतपूर्व कार्य हुआ है। ”आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश” के संकल्प को पूरा किया जा रहा है. बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करके यहां के औद्योगिक विकास के लिए बेहतर माहौल तैयार किया गया है।
निवेश फ्रेंडली नीतियों का सकरात्मक परीणाम मिल रहा है. राजनैतिक स्थायित्व और गुड गवर्नेंस के नए दौर का सृजन हुआ है। प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध यूपी गुड गवर्नेंस, अपराध और भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस, सबसे बड़े उपभोक्ता बाजार, सिंगल विंडो पोर्टल निवेश मित्र, निवेश फ्रेंडली नीतियों के साथ ईज आफ डूइंग में अग्रणी राज्य है।
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