‘मीमास’ में मिला पानी का भंडार, नासा के अंतरिक्ष यान कैसिनी के जरिए हुई यह खोज
आकाशगंगा में तैर रहे असंख्य ग्रहों में जीवन और पानी की तलाश सालों से चल रही है कहीं सफलता मिली तो कहीं कहीं निराशा हाथ लगी, लेकिन इस बार एक खुशखबरी फिर वैज्ञानिकों के हाथ लगी है जिसे बढ़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। जहाँ किसी दूसरे ग्रह पर पानी का बहुत बड़ा खजाना हाथ लगा है। इस बाहरी ग्रह पर मिले महासागर में जीवन की संभावना प्रबल बताई जा रही है। पानी का यह महासागर शनि के चंद्रमा मीमास में खोजा गया है। ऑब्जर्वेटोरेडी पेरिस-पीएसएल के खगोलशास्त्री वैलेरी लैनी और उनकी टीम ने यह खोज की है।
एक छोटा चंद्रमा है मीमास :
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एन्सेलाडस, यूरोपा के क्लब में शामिल हुआ मीमा मीमास एक छोटा चंद्रमा है, जिसका व्यास केवल 400 किलोमीटर है। यह खोज मिमास को आंतरिक महासागरों वाले चंद्रमाओं के एक विशेष क्लब में जोड़ती है, जिसमें शनि का चंद्रमा एन्सेलाडस और बृहस्पति का चंद्रमा यूरोपा शामिल है।
नासा ने ढूंढा सुपर अर्थ:
नासा की एक ट्विटर पोस्ट के अनुसार नासा को एक ऐसी सुपर-अर्थ सौरमंडल में मिली जो पृथ्वी से 30 से 70 प्रतिशत बड़ी है। यह दुनिया रहने लायक (जीवन के लिए उपयुक्त) भी है और परिक्रमा करती है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नासा के अंतरिक्ष यान कैसिनी के जरिए यह खोज हुई है। मीमास शनि का सबसे छोटा उपग्रह है । इस उपग्रह पर तरल जल की मौजूदगी की कोई संभावना नजर नही आती थी। कैसिनी अंतरिक्ष यान ने 2004 से 1017 के बीच कई बार मीमास के जांच पड़ताल की और तस्वीरों समेत डेटा पृथ्वी पर भेजा। जब वैज्ञानिकों ने इस उपग्रह का डेटा खंगाला तो हैरान हो गए। मीमास भीतरी सतह में महासागर छिपा हुआ था। इस उपग्रह की सतह मोटी परत की बर्फ से ढकी हुई है और सतह से केवल 20 से 30 किलोमीटर की गहराई में तरल जल का महासागर समाया हुआ है। लंदन क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ने महासागर की इस घोषणा को प्रकाशित किया है।
खोजकर्ता वैज्ञानिको का कहना है कि शनि के चंद्रमा मीमास का महासागर संभवतः 5 से 15 मिलियन वर्ष पहले शनि द्वारा मीमास के ज्वारीय निचोड़ के कारण बना था। इस खोज से वैज्ञानिकों को महासागर की उत्पत्ति की जानकारी मिल सकती है। साथ ही इस महासागर में किसी भी रूप में जीवन भी मिल सकता है। अब आगे के अध्ययन से इस संदर्भ की पुष्टि होगी। बीते दशक में नासा ने चंद्रमा की बर्फ से ढंकी सतह के नीचे तरल रूप में पानी मौजूद होने का दावा किया था।
फिर चाहे वह भूमिगत जल हो या किसी महासागर के रूप में हो, लेकिन शनि के चंद्रमा एनक्लेडस को देखकर पहली झलक में कहा जा सकता है कि इसके दक्षिणी ध्रुव पर पानी का अथाह भंडार है। इस खोज को नेचर जरनल में प्रकाशित शोध पत्र के प्रमुख शोधकर्ता और कारनेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मैट हेडमैन ने बातया था कि, एनक्लेडस जब शनि के बहुत करीब होता है तो जलस्त्रोतों के पोर जैसे बंद हो जाते हैं और जब ये चाद अपने शनि ग्रह से सबसे अधिक दूर होता है तो जल सबसे अधिक छलकता है।