उर्मिल रंग उत्सव की चौथी शाम
लखनऊ 20 जुलाई। निराशा से आशा की ओर बढ़ने का संदेश देते और व्यवस्था का क्रूर चेहरा उजागर करती समाज की एक तस्वीर तीन पीढ़ियों के प्रतिनिधियों के माध्यम से रंगप्रस्तुति ‘थ्री स्ट्रेंजर्स’ मंच पर रखती है। आत्महत्यात्मक प्रवृत्ति को लेकर रचे इस नाटक का मंचन डा.उर्मिल कुमार थपलियाल फाउंडेशन द्वारा आयोजित दूसरे उर्मिल रंग उत्सव की चौथी शाम स्ट्रेंजर्स स्ट्रेंजर्स थिएटर रंग संस्था की ओर से संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर में अनिल कुमार चौधरी के लेखन और निर्देशन में किया गया।
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वर्तमान व्यवस्था और हालात पर गौर करने को विवश करती है डार्क कॉमेडी:
आधुनिक नाट्य तकनीकों से भरे हुए ‘डार्क कॉमेडी’ के रूप में प्रस्तुत इस नाटक की कहानी अपने जीवन से निराश हो चुके तीन अजनबियों के आत्महत्या करने पहुंचे एक ही जगह मिलने से प्रारंभ होती है। यह तीनों अपनी अलग-अलग पीढ़ियों का प्रतिनिधित्व करते इस क्रूर व्यंग्य में प्रेक्षकों के सामने आते हैं। वह संयोगवश एक सामान्य रेलवे स्टेशन पर एक दूसरे से टकरा जाते हैं। आत्महत्या करने में बाधक उन्हें एक-दूसरे की उपस्थिति नहीं सुहाती। उनके आपसी संवाद और तू तू मैं मैं जहां दर्शकों को हंसाते हैं तो वहीं उन चरित्रों की कोशिश एक दूसरे को वहां से भगाने की रहती है क्रमश: बढ़ते-बढ़ते नाटक उन अजनबियों को यह अहसास कराता है कि कुछ ऐसा है जो उन सभी में कॉमन है और वह एक जैसी ही परिस्थितियों में समाज से जूझ रहे हैं और उन्हें आगे भी जूझना चाहिए। तभी राजनीतिक दबाव में वहां तीन कुख्यात अपराधियों के नाम पर तीन आम मजदूरों को लेकर उनका इनकाउंटर करने पुलिस पहुंच जाती है। तीनोंं छिप जाते हैं पर बुजुर्ग से ये अन्याय भ्रष्टाचार नहीं देखा जाता। उसके हस्तक्षेप से बात इतनी बिगड़ जाती है कि पुलिस मजदूरों के साथ उन्हें भी मार देती है। दर्शकों के लिए ये घटना एक उदाहरण बनकर वर्तमान व्यवस्था और हालात पर गौर करने को विवश करती है। प्रस्तुति के दृश्य वास्तव में एक रेलवे प्लेटफार्म का अहसास करा रहे थे।
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इन सभी का रहा खास योगदान :
नाटक में अजनबी एक- जीवन सिंह रावत, अजनबी दो- पीयूष वर्मा, अजनबी तीन- अनिल कुमार चौधरी, स्टेशन मास्टर- शिवम सिंह, एसटीएफ सिपाही एक- अंशुल शुक्ला, एसटीएफ सिपाही दो- प्रज्ज्वल, एसटीएफ सिपाही तीन- शुभम, एसटीएफ सिपाही चार- सतेंद्र, मज़दूर एक- अंचित, मज़दूर दो- विनय और मज़दूर तीन- शिवा बनकर उतरे। मंच परे प्रकाश- मनीष सैनी, संगीत- विकास, मंच प्रबंधन- रिया, शिमाली व तान्या का रहा। निर्देशक सहायक की जिम्मेदारी विनय और शिवा ने निभायी।