लखनऊ, 15 जून। आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उप्र के संयोजकों में अवधेश कुमार वर्मा, केबी राम, डा. रामशब्द जैसवारा, आरपी केन, अनिल कुमार, अजय कुमार, पीएम प्रभाकर, अन्जनी कुमार ने एक सयुंक्त बयान जारी कर कहा कि अभी थोड़ी देर पहले भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा सुप्रीम कोर्ट आदेश की परिधि में जो आदेश पदोन्नति में आरक्षण के लिये जारी किया गया है।
उन्होंने कहा कि उससे उप्र के लगभग 8 लाख दलित कार्मिकों को तभी लाभ मिलेगा जब केन्द्र सरकार द्वारा उप्र के मामले में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-3(7) को 15-11-1997 से बहाल करने का निर्देश दे अथवा उप्र की सरकार स्वतः आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा-3(7) को 15-11-1997 से बहाल करें एवं उसी तिथि से पदोन्नति का लाभ प्रदेश के दलित कार्मिकों को दे।
तभी भारत सरकार का आदेश सार्थक होगा। पुनः संघर्ष समिति अपनी मांग दोहराते हुए केन्द्र की मोदी सरकार से लोकसभा में लम्बित पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन 117वां बिल पास कराने की मांग की है, जिससे हमेशा के लिये पदोन्नति में आरक्षण से विधिक अड़चन समाप्त हो सके।