डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारत में पर्यटन व तीर्थाटन की परंपरा आदिकाल से रही है। नदी, अरण्य,तीर्थ स्थल आदि हमारे पर्यटन स्थल हुआ करते थे। इसमें शिक्षण व अनुसंधान के केंद्र भी सम्मलित थे। इन सबका केवल आध्यात्मिक महत्व मात्र नहीं था। बल्कि यह भारत के राष्ट्रीय भाव के विस्तार को भी रेखांकित करते थे। आज भी यह राष्ट्रीय एकता के सूत्र स्थल है। प्राचीन काल में यातायात सुविधा आदि का अभाव था। फिर भी लोग तीर्थाटन के लिए जाते थे। आधुनिक युग में तकनीकी विकास से साधन सुविधा उपलब्ध हुए है। इनका विस्तार सभी क्षेत्रों में है। लेकिन पर्यटन स्थलों के विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता थी। स्वतन्त्रता के बाद यह कार्य होना चाहिए था। लेकिन इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
सरकार के मुखिया अपने निर्वाचन क्षेत्र व जनपद को वीआईपी दर्जे में रखने लगे। जबकि यह दर्जा पर्यटन स्थलों को मिलना चाहिए था। पहली बार केंद्र और प्रदेश की वर्तमान सरकारों ने इस ओर ध्यान दिया। पर्यटन और तीर्थाटन को अर्थव्यवस्था में उचित स्थान दिया गया। देश की नदियों के तट पर बने धार्मिक स्थल भी राष्ट्रीय एकता को एक सूत्र में बांधने का कार्य करते थे। पर्यटन से परोक्ष अपरोक्ष रोजगार का सृजन होता है। केंद्र व प्रदेश की वर्तमान सरकारों ने इस तथ्य को समझा है। इसके अनुरूप योजनाएं बनाई गई। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नदियां भौतिक वस्तु नहीं है। हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है। तभी तो हम नदियों को मां कहते हैं। हमारे कितने पर्व, त्योहार उत्सव इन माताओं की गोद में होते हैं। भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है-
गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना,गोदावरी नमर्दा,कावेरी सरयू महेन्द्रतनया, चमर्ण्वती वेदिका । शिप्रा वेत्रवती महासुरनदी,ख्याता च या गण्डकी,पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्रसहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्।।
इसके उच्चारण मात्र से भारत में नदियों को लेकर आस्था का संचार होता था। विशाल भारत का एक मानचित्र मन में अंकित हो जाता था। नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था। साढ़े चार वर्ष पहले तक उत्तर प्रदेश में तीर्थाटन व पर्यटन विकास कोई मुद्दा नहीं था। इस क्षेत्र में मात्र औपचारिकता का निर्वाह किया जाता था। जबकि उत्तर प्रदेश में तीर्थाटन व पर्यटन विकास की व्यापक संभावना रही है। प्रभु श्री राम व श्री कृष्ण ने यहीं अवतार लिया। दुनिया की सबसे प्राचीन बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी यहीं है। इसके अलावा अनेक देविधामों की देश में प्रतिष्ठा है। लाखों दर्शनार्थी इन सभी स्थलों पर प्रति वर्ष आते है। उनके आगमन से यहां लघु भारत का दृश्य दिखाई देता है। इतना ही नहीं विदेशी पर्यटकों की आमद भी कम नहीं होती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इन सभी स्थलों से भावनात्मक लगाव भी रहा है। इससे भी आगे बढ़ कर उन्होंने इन सभी स्थलों को प्रदेश के समग्र विकास से जोड़ा। पर्यटन व तीर्थाटन से अर्थव्यवस्था को बल मिलता है। योगी आदित्यनाथ ने सन्देश दिया कि यह साम्प्रदायिक विषय नहीं है। यह प्रदेश के विकास से जुड़ा मुद्दा है। जिसे साम्प्रदायिक समझ कर अब तक उपेक्षा की गई। पिछली सरकारें वोटबैंक सियासत के कारण इन स्थलों से दूरी बना कर रखती थी। इस कारण यहां अपेक्षित विकास नहीं किया गया। जबकि दशकों पहले ही यहां विश्वस्तरीय विकास की आवश्यकता थी।
इस कार्य को केंद्र व प्रदेश की वर्तमान सरकारें पूरा कर रही है। प्रदेश सरकार के कुशल नेतृत्व एवं प्रबन्धन में प्रयागराज में कुम्भ का दिव्य एवं भव्य आयोजन सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का निर्माण हो रहा है। प्रदेश सरकार ने ब्रज तीर्थ एवं चित्रकूट धाम में विकास को नई दिशा दी। अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम द्वारा जनभावनाओं का आदर किया गया। अपनी परम्पराओं को विकसित किया है। सभी तीर्थ क्षेत्रों में जन सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। कुछ दिन पहले माँ विन्ध्यवासिनी कॉरिडोर का शुभारम्भ एवं रोप वे का उद्घाटन किया गया था।
कॉरिडोर परियोजन में मंदिर परकोटा एवं परिक्रमा पथ का निर्माण,रोड व मेन गेट की अवस्थापना का निर्माण,मंदिर की गलियों में फसाड ट्रीटमेंट का निर्माण,पहुंच मार्गों का सुदृढ़ीकरण एवं निर्माण कार्य,पार्किंग स्थल,शॉपिंग सेण्टर व अन्य यात्री सुविधाओं का निर्माण सम्मिलित हैं। योगी आदित्यनाथ ने तीर्थाटन व पर्यटन के क्षेत्र में दशकों से चली आ रही नीति में व्यापक सुधार किया है। उन्होंने आस्था के साथ विकास को भी जोड़ा है। काशी मथुरा अयोध्या आदि विश्व प्रसिद्ध नगरों का होना उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है। किंतु इस गौरव के अनुरूप विशेष जिम्मेदारी की अपेक्षा भी अपेक्षा रहती है। पिछली सरकारों ने इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया।
योगी आदित्यनाथ ने अनेक अवसरों पर कहा कि पिछली सरकारें इन स्थलों का नाम लेने से डरती थी। उन्हें लगता था कि ऐसा करने से उनकी सेकयलर छवि खराब होगी। जबकि यह जनहित से जुड़ा विषय था। योगी आदित्यनाथ ने तीर्थाटन व पर्यटन विकास पर ध्यान दिया। यहां के विकास का लाभ बिना भेदभाव के सभी स्थानीय लोगों को मिल रहा है। इसके साथ ही पर्यटन के लिए पहुंचने वाले लोगों को भी सुविधाएं उपलब्ध हो रही है। पिछले दिनों अयोध्या में राष्ट्रपति ने अनेक विकास कार्यों का भी शुभारंभ किया था।योगी आदित्यनाथ सभी क्षेत्रों की यात्रा के दौरान विकास की योजनाएं भी ले जाते है। केन्द्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण स्प्रिचुअल,बौद्ध, हेरिटेज आदि सर्किट के माध्यम से प्रदेश के पर्यटक स्थलों का व्यवस्थित विकास कराया जा रहा है। राज्य की प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक पर्यटन स्थल पर विभिन्न पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए मुख्यमंत्री पर्यटन संवर्धन योजना लागू की गयी है। राज्य में पर्यटन स्थलों को आकर्षक एवं सुविधापूर्ण बनाने के पर्यटन विभाग के प्रयासों के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।
पर्यटन सुविधाओं के विकास के सम्बन्ध में सबसे पहला प्रयास अन्तःकरण के भाव को सम्मान देने के लिए स्प्रिचुअल पर्यटन के क्षेत्र में हुआ होगा। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश दुनिया के सबसे समृद्ध क्षेत्रों में है। यहां श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े अनेक स्थल, भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या, भगवान श्रीकृष्ण की लीलाभूमि मथुरा, भगवान विश्वनाथ की धरती तथा विश्व की प्राचीनतम नगरी काशी, दुनिया की सबसे पवित्र नदियों गंगा जी व यमुना जी के संगम के रूप में कुम्भ की धरती प्रयागराज,विभिन्न शक्ति केन्द्र, भगवान बुद्ध से जुड़े छह प्रमुख स्थल, जैन परम्परा के तीर्थंकरों से सम्बन्धित अनेक पवित्र स्थल हैं। हेरिटेज टूरिज्म से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण स्थल उत्तर प्रदेश में हैं।
प्रथम स्वाधीनता समर का स्थल, महाराजा सुहेलदेव के शौर्य व पराक्रम का स्थल बहराइच सहित विभिन्न कालखण्ड के ऐतिहासिक स्थल यहां मौजूद हैं। महारानी लक्ष्मीबाई,शहीद मंगल पाण्डेय,पं राम प्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खां,चन्द्रशेखर आजाद जैसे स्वाधीनता सेनानियों तथा क्रांतिकारियों से जुड़े स्थल,स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़े स्थल जैसे लखनऊ में काकोरी,गोरखपुर में चौरी चौरा आदि उत्तर प्रदेश में हैं। ईको।
टूरिज्म के लिए भी राज्य में व्यापक सम्भावनाएं हैं। तराई के क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में पर्यटन विकास की अनेक परियोजनाएं एवं कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। पर्यटन दुनिया के सबसे बड़े उद्योगों में से एक है। इससे अपरोक्ष रुप में उद्योग जगत को भी प्रोत्साहन मिलता है। राज्य में बड़े पर्यटन स्थलों के विकास के साथ ही चार सौ से अधिक छोटे पर्यटन स्थलों को भी विकसित कराया जा रहा है।
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Very interesting points you have mentioned, appreciate it for putting up. “I never said most of the things I said.” by Lawrence Peter Berra.