- संघर्ष समिति ने कल 22 जुलाई को बुलाई प्रान्तीय कार्य समिति की बैठक जिसमें होगा आर-पार की लड़ाई का ऐलान
लखनऊ, 21 जुलाई 2018: लोकसभा से पदोन्नति में आरक्षण संवैधानिक संशोधन 117वां बिल पास कराने व उप्र सरकार द्वारा आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 3(7) को 15-11-1997 से बहाल किये जाने के मुद्दे पर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उप्र के संयोजक मण्डल की आज एक आपात बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें आरक्षण समर्थकों द्वारा उप्र सरकार पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि उप्र की सरकार दलित कार्मिकों को उनका हक नहीं देना चाहती। इसीलिये पदोन्नति में आरक्षण दिये जाने का आदेश जारी नहीं कर रही है।
वहीं दूसरी तरफ यूपी के पड़ोसी राज्य बिहार ने कल 20 जुलाई को भारत सरकार द्वारा जारी आदेश के क्रम में दलित कार्मिकों को पदोन्नति में आरक्षण दिये जाने का आदेश पुनः जारी करते हुए बिहार राज्य के दलित कार्मिकों को पदोन्नति देने का रास्ता साफ कर दिया है। इससे पहले छत्तीसगढ़ राज्य में भी पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था बहाल की गयी है। सबसे चौकाने वाला मामला यह है कि बिहार राज्य द्वारा पूरे मामले पर विधिक परीक्षण कराकर आदेश जारी कर दिया गया और और इधर यूपी में पत्रावली घुमायी जा रही है।
आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति,उप्र के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा, आरपी केन, अनिल कुमार, अजय कुमार, श्याम लाल, अन्जनी कुमार, वीके आर्या, राकेश पुष्कर, एसपी सिंह, अशोक सोनकर, प्रेम चन्द्र, जितेन्द्र कुमार, श्री निवास राव, राजेश पासवान, जय प्रकाश, सुनील कनौजिया ने कहा कि उप्र की सरकार दलित कार्मिकों को उनका अधिकारी नहीं देना चाहती, इसीलिये सरकार चुप्पी साधे है। जो दलित हितों के लिये बनी संवैधानिक संस्था का भी घोर अपमान है।