आयोग ने पूछा विद्युत वितरण संहिता 2005 की धारा 6.1(सी) का क्यों किया गया उल्लंघन
लखनऊ, 06 अगस्त 2018: पूरे उत्तर प्रदेश में पॉवर कार्पोरेशन द्वारा नियम विरूद्ध तरीके से माह की 15 तारिख तक विद्युत उपभोक्ताओं द्वारा स्वयं अपनी रीडिंग लेकर बिल जमा करने पर रोक लगाने के मामले को उप्र विद्युत नियामक आयोग ने काफी गम्भीरता से लिया है।
समाचार पत्रों में छपी खबर के आधार पर आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह व सदस्य एसके अग्रवाल व कौशल किशोर शर्मा इस मामले पर बड़ा फैसला सुनाते हुये पावर कार्पोरेशन के प्रबन्ध निदेशक को 21 अगस्त को तलब करते हुये विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 142 के तहत नोटिस भेजा है।
आयोग द्वारा जारी नोटिस में यह माना गया है कि पॉवर कापोरेशन द्वारा विद्युत वितरण संहिता की धारा 6.1(सी) का उल्लंघन किया गया है इसलिये क्यों न प्रबन्ध निदेशक पावर कार्पोरेशन के खिलाफ कार्यवाही की जाये? आयोग द्वारा जारी नोटिस में यह भी लिखा गया है कि पावर कार्पोरेशन का इस आदेश से भले ही कोई वाणिज्यक इन्ट्रेस्ट रहा हो लेकिन यह व्यवस्था विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन है।
वहीं दूसरी ओर इस मामले की प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से लड़ाई लड़ रहे राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में सुबह ही पावर कार्पोरेशन के खिलाफ एक अवमानना वाद दाखिल करते हुये पावर कार्पोरेशन के प्रबन्धन के खिलाफ विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत कार्यवाही मांग उठाई गयी थी।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा यह मामला काफी गम्भीर है जिस प्रकार से पॉवर कार्पोंरेशन ने विद्युत अधिनियम के तहत बनायी गयी वितरण संहिता 2005 का खुला उल्लंघन किया गया है वह अपने आप में सोचनीय है इसी प्रकार पहले भी विद्युत उपभोक्ताओं के भार बढ़ाने के मामले में भी बिजली कम्पनियों द्वारा बिना नोटिस के भार बढ़ा दिया गया था जिस पर आयोग द्वारा दी गयी नोटिस का जवाब आज तक बिजली कम्पनी नहीं दिया है पूरे प्रदेश में जिस प्रकार से लम्बे समय से उपभोक्ताओं का उत्पीड़न चल रहा वह एक चिन्ता का विषय है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा पूरे प्रदेश में पावर कार्पोरेशन द्वारा सुनाये गये इस फैसले से लगभग 6 लाख विद्युत उपभोक्ता प्रभावित हो रहे थे जो अपने आप में उपभोक्ताओं का हनन है।