डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारत में संसदीय प्रजातन्त्र है। इसमें राष्ट्रपति देश का संवैधानिक प्रमुख होता है। आमजन के प्रति संघीय स्तर पर सीधी जिम्मेदारी व जबाबदेही प्रधानमंत्री की होती है। यह संवैधानिक व्यवस्था राष्ट्रपति को आमजन से दूर करती है। उनके प्रायः सभी कार्यक्रम इस व्यवस्था व मर्यादा के अनुरूप होते है। सुरक्षा व प्रोटोकाल के बंधन भी कम नहीं होते। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद स्वयं इन बंधनों का उल्लेख करते है। उन्होने कहा कि वह पिछली यात्राओं के दौरान ही अपने गांव आना चाहते थे। लेकिन सुरक्षा कारणों से ऐसा नहीं हो सका। इस बार वह विशेष ट्रेन से कानपुर आये थे। आते समय वह झींझक व रुरा स्टेशन पर रुके थे। इसके बाद हेलीकॉप्टर से अपने गांव परौख व पुखरायां गए। इन सभी जगहों पर वह जनता के राष्ट्रपति दिखाई दिए।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि झींझक स्टेशन पर आकर बहुत खुश हूं। इस धरा से मेरा पुराना नाता है। परौंख मेरी जन्मभूमि और मातृभूमि है। मगर झींझक स्टेशन पर आकर आज मैं सभी का आशीर्वाद लेने आया हूं। उन्होंने अपनी पुरानी यादें ताजा की। कहा कि जब मैं झींझक आया करता था और घंटो इसी स्टेशन पर बैठा करता था। यहां के मेरे बहुत करीबी बाबूराम बाजपेई और रसूलाबाद के रामबिलास त्रिपाठी रहे। ईश्वर की महिमा है आज दोनो लोग ईश्वर की शरण में हैं। प्रोटोकॉल की वजह से दूरी है दिल से नहीं है।
उन्होंने कहा कि इन दो नामो का मैंने उल्लेख किया है परन्तु अनगिनत लोग बिछड़ गए। आज मैं उन आत्माओं को याद करता हूं। उन्होंने कहा मेरा झींझक आने का कार्यक्रम नही था, लेकिन दिल्ली से चलने पर रेलमंत्री से मुलाकात होने पर उन्होंने कहा कि आपके गांव के समीपस्थ झींझक और रुरा स्टेशन है। इसके चलते आज मैं यहां उपस्थित हूं। मगर यहां आकर बेहद खुशी मिली। उन्होंने कहा कि एक बात और कि कानपुर देहात में डीएफसी निर्माण हुआ। साथ ही फ्रंट कॉरिडोर से भी लोगों को बहुत फायदा होगा।
उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि आप भी भारत के नागरिक हैं और मैं भी भारत का नागरिक हूं। बस फर्क सिर्फ इतना है कि राष्ट्रपति होने के नाते मुझे कतार में आगे खड़ा किया गया है। मगर इस सरजमीं से बड़ा ही पुराना नाता है। उन्होंने कहा कि जब मैं दिल्ली से ट्रेन से निकला तो सभी स्टेशनों पर बहुत सुविधाएं दिखाई दीं जिन्हे देखकर बेहद खुशी हुई। मगर फिर भी कहना चाहता हूं कि जितना हो सके अधिक से अधिक सुविधाये रेल यात्रियों को दी जाएं। कहा कि जब मैं जब सांसद था तो जिन ट्रेनो का ठहराव कराया था शिकायत मिली कि बंद हुईं। उ
न्होंने कहा कि कोरोना के चलते जो ट्रेनें बंद हुई वो सभी पुनः शुरू होंगी। देश आजाद हुआ बहुत तरक्की हुई है,लेकिन बहुत कुछ बाकी है मगर देश की तरक्की में हम सबको योगदान देना चाहिए। हम सभी देश के नागरिक है। हम अधिकारों की बात बहुत करते है हम सबके दायित्व है। दिल्ली स्टेशन पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उनका स्वागत किया किया था।
उन्होंने राष्ट्रपति को महात्मा गांधी की फोटो भेंट की,जिसमें वह ट्रेन के गेट पर खड़े होकर लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे है। रेलवे के जीएम एनसीआर वीके.त्रिपाठी की राष्ट्रपति की इस यात्रा पर टिप्पणी उल्लेखनीय है। उन्होंने आम जन के परिवहन को चुनने के लिए बोलते हुए उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा। इसके अलावा झींझक और रूरा के कार्यक्रम अनुक्रम में राष्ट्रपति की आमजन के प्रति गहरा लगाव और उनके प्रति चिंता को प्रदर्शित करने वाला है। करीब पन्द्रह वर्ष बाद किसी राष्ट्रपति ने इस ट्रेन का उपयोग किया है। उनका सपत्नीक विशेष ट्रेन से सफर करना रेलवे के लिए विशेष अवसर की तरह है। इसको लेकर भारतीय रेल की देश विदेश में खूब चर्चा रही।
कहा गया कि इससे रेलवे के प्रति लोगों में जिज्ञाषा व विश्वास दोनों बढ़ेगा। यह सुरक्षित व विश्वास को भी बल देने वाला साबित होगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दौरे कानपुर यात्रा पर है। प्रेसिडेंटियल ट्रेन की यह यात्रा अपने में बेहद खास बन गई है। राष्ट्रपति दिल्ली के सफदरगंज स्टेशन से कानपुर सेन्ट्रल स्टेशन करीब रात्रि करीब आठ बजे पहुंचे। इस दौरान प्रेसिडेंटियल ट्रेन झींझक व रूरा स्टेशनों पर दो रुकी थी।
राष्ट्रपति के दिल्ली से उनके गृह जनपद जाने के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाई गई। यह कदम उन रेलकर्मियों के लिए एक बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला है,जिन्होंने महामारी के समय में लगन से अपनी सेवाएं दी हैं। इससे लोगों को व्यापार,पर्यटन और अन्य उद्देश्यों के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा के लिए ट्रेनों का उपयोग करने को प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्वास बढ़ाया है।