Share Facebook Twitter LinkedIn WhatsApp Post Views: 428 दो कवितायेँ : हँसी-3 ——– पहले बहुत हँसी आती थी हर बात पर हर पल हँसते-हँसते इतना हँसता चला गया कि हँसी थककर रोने लगी हँसी-4 ——– बीवी-बच्चों की हँसी में कैद हो के रह गये हम बिखरने ही वाले थे कि इनकी हँसी से संभल गये हम आनंद अभिषेक
लखनऊ में गायनाचार्य पं. बड़े रामदास व पं. भवानी प्रसाद को स्वरांजलि: स्वर वाहिनी संगीत समिति का भव्य आयोजन