राहुल कुमार गुप्ता
लखनऊ/बबेरू, बांदा: पूरी यूपी के साथ-साथ पिछड़े बुंदेलखंड के बांदा जिले के बबेरू विधानसभा क्षेत्र में भी लोकतंत्र का महापर्व (18वां विधानसभा चुनाव) वयस्क होने की दहलीज पर कदम रख रहा है। इस बार यहां के समीकरण कुछ ऐसे बन रहे हैं कि तमाम लोगों के मन में यह बात यह बातें भी जन्म ले रही है कि शायद बबेरू विधानसभा क्षेत्र इस बार ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा हो!!
जातियों का समीकरण शायद पहले इतना जरूरी नहीं था लेकिन क्षेत्रीय दलों के उदय के बाद जातियों का समीकरण प्राथमिकता में आ गया। प्रदेश और देश में चलती लहर का प्रभाव और अप्रभाव दोनों ही इस क्षेत्र में देखने को मिलता रहा है। बबेरू क्षेत्र के लोग चाहते तो हैं विकास हो लेकिन कभी लहर तो कभी जातिवाद में इनकी चाहतें अधूरी रह जाती हैं तो कभी अपने जनप्रतिनिधि से विकास के मुद्दे पर बात न कर पाने की झिझक आड़े आ जाती है।
केंद्र और प्रदेश की योजनाओं से जो विकास कार्य अपने तरीके से चरणबद्ध तरीके से होते आये हैं बस उतना ही विकास कार्य कुछ प्रतिशत के साथ इस क्षेत्र के नसीब में भी रहा है। आज भी कुछ मूलभूत सुविधाओं के साथ बहुत से विकास कार्य यहां के लोगों के लिए एक सुनहरे स्वप्न की तरह ही हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में पूरे विधानसभा क्षेत्र में यहां कोई भी अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल नहीं हैं, न ही प्रोफेशनल कोर्स के लिए उच्चतर विद्यालय। स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छे अस्पतालों, ट्रामा सेंटर और डायग्नोसिस लैब नहीं है। खेल में प्रतिभाओं को निखारने के लिए भी क्षेत्र में कोई उचित व्यवस्था नहीं। यहां, उद्योग धंधे, पार्क और स्टेडियम किसी स्वप्न का हिस्सा ही समझ में आता है। यहां के बहुत से एससी और कुछ अतिपिछड़ी जाति के मतदाता प्रवासी मजदूरों की तरह दूसरे प्रदेशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अपने क्षेत्र में ही रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर शायद ही किसी जनप्रतिनिधि ने समुचित प्रयास किया हो।
कृषि से संबंधित कुछ ऐसी पैदावार इस क्षेत्र में हैं जिन्हें हल्के प्रयास से जीआई टैग मिल सकता है। जैसे मंठा की मिर्ची, हरा देशी भाटा, कुछ खुशबूदार चावल की प्रजातियां, पोषक तत्वों से भरपूर छोटी बेरियां (जारी के बेर), जायद फसल में उपजने वाली पौष्टिक और स्वादिष्ट सिंधिया, कई औषधियों में और खट्टी चटनी में काम आने वाला कैथा आदि। इनके जीआई टैग में आने से यहां के किसानों में एक नया संचार होगा। इन चीजों के निर्यात से भी क्षेत्र में की लोगों की आय बढ़ेगी।
यहां के गांवों में एक बड़ी कमी अंत्येष्टि स्थलों की भी है। भूमिगत जल का घटता स्तर और जल संकट भी यहां की बड़ी समस्याओं में से एक है। शुद्ध पेयजल की समस्या आम है। जिससे इस क्षेत्र में लगभग साठ प्रतिशत लोग टायफाइड के शिकंजे में आ जाते हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए भी आवाज दबी रूप में ही उठती है। पशुओं के रखरखाव और पशुपालन के सही ज्ञान का अभाव, गोबर से जैविक खाद, गोबर गैस आदि के प्रयोग से यहां के किसानों को और संपन्न बनाया जा सकता है।
गांवों में पक्की सड़कें और नालियां, नगर पंचायतों में भी जल निकासी की व्यवस्था। गांवों के लिए ग्रामीण बस सेवाएं, रोडवेज बसों की संख्या भी बढ़ाई जाये। सड़क हादसों में कमी लाने के लिए बेहतर कार्य योजना। प्रगति शील खेती के लिए क्षेत्र के कई गांवों में निरंतर कृषि गोष्ठी या कृषक मेला का आयोजन। गांवों में प्रचलित पुरानी घरेलू वैद्यिकी पद्धतियां जिनमें झाड़-फूंक भी सम्मिलित है और जिनसे लोगों को लाभ मिलता आ रहा है, उसकी सच्चाई को लेकर ऐसी पद्धतियों के विकास व पुनर्जीवित करने के लिए आयुष से जोड़ने के लिए समुचित प्रयास।
गांवों के लोकदेवता और लोकदेवियों के स्थलों का जीर्णोद्धार कर के उनके इतिहास को संरक्षित करने के कार्य। सीसीटीवी कैमरे हर ग्राम पंचायत में कम से कम दो- दो। रात में कभी कभार ड्रोन से निगरानी नगर क्षेत्रों में तो कभी कभार ग्रामीण क्षेत्रों में। यह कार्य एक रैंडम ही हो जिससे अपराधियों में भय बना रहे और भयमुक्त समाज मिल सके। हर स्कूलों के अंदर और बाहर एक एक सीसीटीवी लगे होना अनिवार्य कर दिया जाये। यह सारे कार्य बबेरू क्षेत्र के विकास और भयमुक्त क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। क्या इस क्षेत्र का 18वां विधायक इन विषयों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा या पूर्व के विधायकों की भांति वो भी, थोड़े बहुत कामों से अपनी पीठ थपथपाता रहेगा।
बबेरू विधानसभा क्षेत्र (233) में हर रोज नए नए समीकरण देखने और सुनने को मिलते हैं। जिससे जनता यही कयास लगा रही है कि” यदि ऐसा हुआ तो ” तो ये दल, यदि ऐसा हुआ तो फलां दल, यदि ऐसा हुआ हो तो फलां दल सीट निकाल सकता है।
अभी भी वस्तुस्थिति स्पष्ट नहीं है
अर्थात यहां चतुष्कोणीय मुकाबला देखने में आ रहा है। जिसमें बसपा से रामसेवक शुक्ला, सपा से विशंभर सिंह यादव भाजपा से अजय पटेल और कांग्रेस से गजेंद्र सिंह पटेल मैदान पर हैं।
यहां से मुख्य दल सवर्णों को टिकट देने से हमेशा कतराते नजर आये वजह यह है कि इस क्षेत्र में एससी और पिछड़े (यादव और पटेल) ही बड़ी तादाद में हैं तथा सवर्णों में ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य और कायस्थ मिलकर ही 50-55 हजार का आंकड़ा तय करते हैं।
71 सालों में 17 बार जनप्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी हैं। जिनमें 13 बार ओबीसी
( 5 बार पटेल, 6 बार यादव, 1 बार विश्वकर्मा, 1 बार कुशवाहा) और 4 बार एससी वर्ग का प्रतिनिधित्व रहा।
बबेरू विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के जातिगत आंकड़े लगभग में
1-दलित -75-80
2-यादव – 55-60
3-पटेल -40-45
4-सवर्ण -65-70
5-निषाद- 20-25
6-मुस्लिम- 20-25
7-कुशवाहा-15-16
8-अन्य ओबीसी- 75-80
क्षेत्र के तमाम लोगों का कहना है कि बसपा ने यहां जो दांव खेला है उससे हो सकता है कि दलित सवर्ण गठजोड़ से क्षेत्र में एक ऐतिहासिक परिवर्तन हो, कोई सवर्ण भी यहां से विधानसभा का रास्ता अख्तियार कर ले।
बसपा प्रत्याशी रामसेवक शुक्ला, बसपा के समर्पित कार्यकर्ता रहे, तथा बसपा सरकार में कुछ माह तक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री भी रहे। बसपा प्रत्याशी की मजबूती बसपा के वोटर्स और सवर्ण मतदाताओं की एकजुटता पर निर्भर है। तथा उनका कहना है कि जिले में जितना विकास बसपा शासन काल में हुआ है वह आजतक कोई नहीं कर पाया। बसपा काम पर विश्वास रखती है। वादों पर नहीं। रामसेवक शुक्ला का व्यक्तिगत व्यवहार अन्य ओबीसी जातियों में रहा जिसका फायदा भी उन्हें मिलता दिखाई दे रहा है। अपनी जीत के लिए वो निश्चिंत दिखाई दे रहे हैं। उनके अनुसार यहां उनकी किसी से टक्कर नहीं मैदान साफ है, विजय हमारी ही हो रही है।
सपा प्रत्याशी विशंभर सिंह यादव इस क्षेत्र से लगातार दो बार विधायक रहे 2007-2017 तक।
तथा इस बार भी वो मुख्य लड़ाई में हैं। प्रदेश में सपा की लहर, वादों की झड़ी और क्षेत्र में बड़ी तादाद में यादव मतदाता और मुस्लिम तथा कुछ अन्य जातियों के आने से सपा प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर निश्चिंत नजर आ रहे हैं। भाजपा से अजय पटेल भी एक मजबूत प्रत्याशी के रूप में सबके समक्ष हैं। पटेल मतदाता भी इस क्षेत्र में बहुतायत में हैं। इसके अलावा राम मंदिर, हिंदुत्व, कानून व्यवस्था, सभी जाति के निर्धनों को पक्का मकान, हर घर शौचालय, हर घर नल परियोजना, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे आदि कार्यों को लेकर वो अपनी मजबूत स्थिति इस चुनाव में मान रहे हैं। यदि पिछले चुनाव की भांति गैर यादव पिछड़ी जातियां और सवर्ण एक साथ आता है तो अजय पटेल भी इस चुनाव में बाजी मार सकते हैं।
लेकिन उनके साथ दुविधा यह है कि कांग्रेस ने भी यहां से एक कद्दावर नेता गजेंद्र सिंह पटेल को टिकट दे रखा है। जिससे बेस वोट कटने का डर कहीं न कहीं बना हुआ है।
फिलहाल गजेंद्र सिंह पटेल भी अपनी जीत का दावा मजबूती से कर रहे हैं। बिरादरी का बेस वोट अपने साथ बता रहे हैं, मुस्लिम, दलित और गैर यादव पिछड़ी जातियां तथा कुछ सवर्ण जातियां भी उनके साथ नजर आ रही हैं। दूसरा प्रियंका गांधी की आंधी और आधी आबादी के सशक्तिकरण के लिए तमाम वादों पर अगर यहां की महिला मतदाताओं ने भरोसा किया तो वो बोलते हैं ऐसी स्थिति में जीत हमारी ही होगी।
बांदा जिले की बबेरू विधानसभा क्षेत्र के विधायकों की क्रमवार सूची (1951-2017)
1- श्री रामसनेही भारतीय, कांग्रेस
2- श्री रामसनेही भारतीय, कांग्रेस
3-श्री देशराज सिंह, निर्दलीय
4-श्री देशराज सिंह, कांग्रेस
5- कामरेड श्री दुर्जन सिंह, भाकपा
6-श्री देवकुमार यादव, भाकपा
7-श्री देवकुमार यादव, भाकपा
8-श्री रामेश्वर प्रसाद, कांग्रेस
9- श्री देवकुमार यादव, भाकपा
10-श्री देवकुमार यादव, कांग्रेस
11- श्री गया चरण दिनकर, बसपा
12- श्री गया चरण दिनकर, बसपा
13- श्री शिवशंकर सिंह, भाजपा
14- श्री गया चरण दिनकर, बसपा
15-श्री विशंभर सिंह यादव, सपा
16-श्री विशंभर सिंह यादव, सपा
17- श्री चंद्रपाल कुशवाहा, भाजपा
18वीं विधानसभा – —-23 फरवरी 2022 को मतदान)